________________
ज
SHRI BHAKTAMAR STOTRA
यात्र
Uttam Kshama - Forgiveness
भक्तामर प्रणत- मौलि मणिप्रभाणामुद्योतकं दलित-पाप-तमोवितानम् । सम्यक् प्रणम्य जिन-पादयुगं युगादावालम्बनं भवजले पततां जनानाम् ॥ १ ॥
भगवान ऋषभदेव के चरण-युगल में भक्तिपूर्वक नमन करते हुए देवताओं के मुकुटमें जड़ी मणियाँ प्रभु के चरणों की दिव्य कान्ति से और अधिक चमकने लगती हैं। भगवान के उन पवित्र चरणों का स्पर्श ही प्राणियों के पापों का नाश करने वाला है, तथा जो उनके चरण-युगल का आलम्बन लेता है, वह संसारसमुद्र से पार हो जाता है। इस युग के प्रारम्भ में धर्म का प्रवर्तन करने वाले प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के चरण-युगल में विधिवत् प्रणाम करके में स्तुति करता हूँ।॥
ભક્તિસભર વંદન કરનાર દેવોના નમેલા મુગટના મણિઓની કાંતિને વધારનાર, પાપરૂપી અંધકાર નાશ કરનાર, સંસાર સમુદ્રમાં ભટકતાં જીવોનો ઉદ્ધાર કરનાર, એવા આદિયુગના પ્રથમ ધર્મપ્રવર્તક શ્રી આદિનાથ પ્રભુના અલૌકિક ચરણોનું બાલંબન જાઉં, ભક્તિપૂર્વક વંદન કરી હું આ સ્તુતિનો आरंभ रीश. १.
10 LAKSHANA - 12 BHAVANA
Shri Ashtapad Maha Tirth
When men and Gods bow down to Bhagwan Rishabhdev, his radiance dissipates the darkness of souls. Those who fall at his feet will find forgiveness and shall be free from the seas of sin. I begin this prayer by bowing down at the feet of Bhagwan Rishabhdev. (1)
ANITYA BHAVANA
ART FROM SCRIPTURES
as 389 a
Anitya Bhavana Impermanence
अनित्य भावना
-Jain Center of America Inc., New York