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Shri Ashtapad Maha Tirth.
हिरण्यगर्भ, प्रजापति, लोकेश, नाभिज, चतुरानन, स्रष्टा, स्वयंभू । इन सबकी यथार्थ संगति भगवान् ऋषभदेव के साथ ही बैठती है, जैसे
हिरण्यगर्भ - जब भगवान् ऋषभदेव माता मरुदेवी के गर्भ में आये थे उसके छह माह पूर्व ही अयोध्या नगरी में हिरण्य-सुवर्ण तथा रत्नों की वृष्टि होने लगी थी, अतः आपका हिरण्यगर्भ नाम सार्थक
है।
प्रजापति - कल्पवृक्षों के नष्ट हो जाने के बाद भगवान् ने असि, मषि, कृषि आदि का उपदेश देकर प्रजा की रक्षा की, अतः भगवान् 'प्रजापति' कहलाते थे।
लोकेश - अखिल विश्व के स्वामी होने से भगवान् 'लोकेश' कहलाते थे। नाभिज - नाभिराय के पुत्र होने से भगवान् 'नाभिज' कहलाए।
चतुरानन - समवसरण में चारों दिशाओं में भगवान् का दर्शन होता था, अतः भगवान् 'चतुरानन' कहलाए।
स्रष्टा - भोगभूमि के नष्ट होने के बाद देश, नगर आदि का विभाग, राजा, प्रजा, गुरु, शिष्य आदि का व्यवहार, विवाह-प्रथा आदि के भगवान् ऋषभदेव आद्य प्रवर्तक थे, अतः 'स्रष्टा' कहे जाते थे।
स्वयम्भू - दर्शन-विशुद्धि आदि भावनाओं से अपने आत्म-गुणों का विकास कर स्वयं ही आद्य तीर्थङ्कर हुए थे, अतः ‘स्वयम्भू' कहलाते थे। ८. ऋषभदेव और विष्णु
वैदिक साहित्य में विष्णु देव का मुख्य स्थान है। भागवतपुराण में विष्णु का ही आठवाँ अवतार ऋषभ को माना है, अतः विष्णु और ऋषभ एक ही व्यक्ति सिद्ध होते हैं।
जैन अनुश्रुतियों में विष्णु के इसी लोकोत्तर परमोपकारी व्यक्तित्व की स्तुति की गई है, जहाँ विष्णु के सत्ताईस नामों का उल्लेख किया गया है३१ जिनकी व्याख्या इस प्रकार की गई है१. विष्णु- केवलज्ञान से व्यापक ।
त्रिविक्रम- सम्यग्दर्शन, और सम्यग्चारित्र रत्नत्रय रूप तीन शक्तियों से सम्पन्न अथवा तीन लोक में विशिष्ट क्रम सर्वोच्च स्थान को प्राप्त । शौरि- शूरवीर। श्रीपति- अभ्युदय-निश्रेयस्प श्री के अधिपति । पुरुषोत्तम- वेसठ शालाका पुरुषों में उत्तम । वैकुण्ठ- गूढज्ञानशालिनी माँ के पुत्र । पुण्डरीकाक्ष- आपकी अक्ष-आत्मा पुण्डरीकवत् श्रेष्ठ है।
विष्णुस्त्रिविक्रमः शौरिः श्रीपतिः पुरुषोत्तमः । वैकुण्ठः पुण्डरीकाक्षो हृषीकेशो हरिः स्वभूः ।। विश्वभरोऽसूरध्वंशी माधवो बलिबन्धनः। अधोक्षजो मधुद्वेषी केशवो विष्टरश्रवाः।। श्रीवत्सलाञ्छनः श्रीमानच्युतो नरकान्तकः । विष्वक्सेनश्चक्रपाणिः पद्मनाभो जनार्दनः ।।
श्रीकण्ठ...
-पं. आशाधर विरचित सहस्रनाम ब्रह्मशातकम् श्लोक-१००-१०२ Rushabhdev : Ek Parishilan
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