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Shri Ashtapad Maha Tirth
त्यों उद्धृत की गयी है। ऋषभदेव के चरित का विस्तार से वर्णन करने वाला यह प्रथम ग्रन्थ है। इसमें पांच परिच्छेद हैं। ग्रन्थ का परिणाम ११००० श्लोक प्रमाण है। ६. ऋषभदेव चरियं
इसका दूसरा नाम 'धर्मोपदेशशतक' भी है यह ग्रन्थ-रत्न तीन सौ तेईस गाथाओं में निबद्ध है। इसके रचियता भुवनतुंगसूरि हैं। ७. सिरि उसहणाहचरियं८
श्री हेमचन्द्राचार्य विरचित 'त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र' के दस पर्यों में से प्रथम पर्व, जिसमें मुख्यतः कौशलिक-श्री ऋषभदेव का विस्तृत वर्णन है उसका प्राकृत रूपान्तर प्रस्तुत ग्रन्थ 'सिरि उसहणाहचरियं' में किया गया है। प्राकृत रुपान्तर करने वाले प्राकृत भाषा विशारद श्री विजयकस्तूरसूरिजी हैं। ८. कहावली
इस महत्त्वपूर्व कृति के रचियता भद्रेश्वरसूरि हैं जो अभयदेवसूरि के गुरु थे। इनका समय १२वीं शताब्दी के मध्य के आसपास माना जाता है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में त्रेसठ महापुरुषों का चरित्र वर्णित है। इसकी रचना प्राकृत गद्य में की गई है, तथापि यत्र-तत्र पद्य भी संप्राप्त होते हैं। ग्रन्थ में किसी प्रकार के अध्यायों का विभाग नहीं है। यह कृति पश्चात् कालीन त्रिषष्टि शलाकापुरुष महाचरित आचार्य हेमचन्द्र विरचित की रचनाओं का आधार है। इसकी प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, अहमदाबाद में उपलब्ध है। ९. भरतेश्वर बाहुबली वृत्ति
प्रस्तुत ग्रन्थ शुभशीलगणी विरचित है। सम्पूर्ण ग्रन्थ प्राकृत भाषा में होने पर भी कहीं-कहीं श्लोकों की भाषा संस्कृत है। इसमें विविध महापुरुषों का चरित्र-चित्रण किया गया है। कुल मिलाकर सड़सठ महापुरुषों एवं त्रेपन महासतीयों की जीवन-कथाओं का वर्णन प्रस्तुत ग्रन्थ में किया गया है। सर्वप्रथम श्री ऋषभदेव के जीवन चरित्र का वर्णन है। उनसे सम्बन्धित निम्न घटनाएँ इस ग्रन्थ में उल्लिखित हैं
(१) ऋषभदेव भगवान् की द्वादश पूर्वभवों का कथन । (२) माता मरुदेवी के चौदह स्वप्न। (३) भगवान् का जन्म। (४) नामकरण, वंश स्थापना ।
अकाल मृत्यु। (६) भगवान् का विवाह, संतानोत्पत्ति ।
राज्याभिषेक । (८) कलाओं का परिज्ञान। (९) चतुर्मुष्टि लोच एवं दीक्षा। (१०) एक वर्ष पश्चात् श्रेयांस द्वारा आहार-दान। (११) नमि-विनमि को विद्याधर की ऋद्धि ।
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श्री विजयकस्तूरसूरीश्वरजी महाराज, सम्पादक- चन्द्रोदय विजयगणि, प्रकाशक- श्री नेम विज्ञान कस्तृरसूरि ज्ञानमंदिर, सूरत, ई. सन् १९६८। श्री शुभशीलगणि विरचित, भाषान्तर- शाह मोतीचन्द ओघवजी, प्रकाशक - शाह अमृतलाल ओघवजी, अहमदाबाद, ई. सन् १९३८ ।
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Rushabhdev : Ek Parishilan
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