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Shri Ashtapad Maha Tirth
बीच पाण्डुकेश्वर से प्राप्त एक ताम्रलेख में वर्णन है कि एक कत्तचुरी राजा ललितसुर देव और देशतदेव ने इस क्षेत्र को अधिकृत किया था। ह्वेनसांग और इत्सिन आदि यात्रियों ने भारत में इसी क्षेत्र से प्रवेश किया था । जगत गुरु शंकराचार्य के जीवन चरित्र में कैलाश के निकट अपना शरीर छोड़कर योग द्वारा कुछ समय के लिये परकाया में प्रवेश का वर्णन है। कांगरी करछक में वर्णन है कि Geva Gozangba द्वारा कैलाश परिक्रमा पथ की खोज सबसे पहले की गई। ऐसा कहा जाता है कि भारत से सप्त ऋषि यहाँ आये थे । आचार्य शांतरक्षित और गुरु पद्मसम्भव ने भी यहाँ की यात्रा की थी। लेकिन इसका कोई पुष्ट प्रमाण नहीं मिलता है। Lochava (Tibetan translator) और Rinchhenzanbo 1958 1058 में यहाँ आये थे और बारह वर्ष खोचर में रहे थे। उनकी गद्दी आज भी वहाँ पर है। १०२७ ई. में पण्डित सोमनाथ जिन्होंने “कालचक्र ज्योतिष" का तिब्बती भाषा में अनुवाद किया था उनके साथ पं. लक्ष्मीकर और धनश्री यहां आये थे। ११वीं शताब्दी में महान् तांत्रिक सिद्ध मिलरेपा ने यहाँ नग्न रह कई वर्ष तपस्या की थी । कैलाश पुराण में उनके चमत्कारों का वर्णन मिलता है । मिलरेपा के गुरु लामाकारपा और उनके गुरु तिलोपा ने कैलाश यात्रा की थी । सन् १०४२ में विक्रमशिला विद्यालय के आचार्य दीपांकर ने यहाँ पर बौद्ध धर्म का प्रचार किया और कई किताबें भी लिखीं। कैलाश मानसरोवर की सदियों से प्रचलित तीर्थयात्रा १९५९ से १९८० तक बन्द रहने के बाद १९८१ में पुनः प्रारम्भ हुई । उससे पूर्व तथा बाद में अनेक महत्त्वपूर्ण लोग इस क्षेत्र में गये और उन्होंने अपनी यात्रा का विवरण अपने लेखों में दिया। यूरोपीय विद्वानों ने भी यहाँ की यात्रा की और महत्त्वपूर्ण खोजें भी कीं परन्तु कैलाश की पवित्रता का पूर्णतः सम्मान करते हुए ।
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सन् १८१२ ई० में William Moor Craft इस क्षेत्र में आये थे और मानसरोवर पर अपना शोध किया था....."The first Europeans to explore the holy lakes were William Moorcroft, whose name will ever be remembered in connection with the tragic fate of the Mission to Bokhara in 1825, and Hyder Hearsey, whose wife was a daughter of the Mogul Emperor Akbar-II."
"In 1812 Moorcroft and Hearsey, disguised as ascetics making a pilgrimage, entered Tibet by the Niti Pass in Garhwal, visited Gartok, which had then, as now, only a few houses, traders living in tents during the fair season, explored Rakashas and Mansarovar Lakes and saw the source of the Sutlaj river."
"It was in 1824 that the first Russian caravan visited bokhara. On their return to the Almora district the two explorers were arrested by the Nepalese soldiers, but subsequently after some trouble were released (vide "Journal Royal Geog.Soc.," xxxvi.2)." (Western Tibet).
सन् १८९८ ई. में लिखित In The Forbidden Land (Vol-1) में A Henry Savage landor ने १६६०० ft. पर Lama Chokden Pass से कैलाश के सौन्दर्य का वर्णन किया है - "I happened to witness a very beautiful sight. To the north the clouds had dispersed, and the snow-capped sacred Kelas Mount stood majestic before us. In appearance no unlike the graceful roof of a temple, Kelas towers over the long white-capped range, contrasting in beautiful blending of tints with the warm sienna colour of the lower elevations. Kelas is some two thousand feet higher than the other peaks of the Gangir chain, with strongly defined ledges and terraces marking its stratifications, and covered with horizontal layers of snow standing out in brilliant colour against the dark ice worn rock. (In the forbidden land pg. 184)
Adinath Rishabhdev and Ashtapad
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