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अध्याय - 10
जीव के रागादि परिणाम परद्रव्य में नहीं हैं -
रागो दोसो मोहो जीवस्स दु ते अणण्णपरिणामा। एदेण कारणेण दु सद्दादिसु णत्थि रागादी॥
(10-64-371)
राग, द्वेष, मोह वे जीव के अनन्य परिणाम हैं। इस कारण राग आदि (परिणाम) शब्द आदि में नहीं हैं।
Attachment, aversion, and delusion, are the soul's own immutable modes; for this reason, sound (and other senseobjects) do not possess attachment etc.
परद्रव्य जीव में रागादि उत्पन्न नही करता -
अण्णदवियेण अण्णदवियस्स णो कीरदे गुणुप्पादो। तम्हा दु सव्वदव्वा उप्पज्जंते सहावेण॥
(10-65-372)
अन्य द्रव्य के द्वारा अन्य द्रव्य के गुणों की उत्पत्ति नहीं की जा सकती; इसलिए (यही कारण है कि) सब द्रव्य अपने-अपने स्वभाव से उत्पन्न होते हैं।
The qualities of a substance cannot be produced by another substance; therefore, all substances are produced by their own, individual nature.
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