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अध्याय - 7
are free from fear. Since they are free from seven kinds of fear, therefore, certainly they are free from doubts.
नि:शंक सम्यग्दृष्टि का स्वरूप
जो चत्तारि वि पाये छिंददि ते कम्मबंधमोहकरे । सो णिस्सको चेदा सम्मादिट्ठी मुणेदव्वो ।
(7-37-229)
जो आत्मा कर्म-बन्ध का भ्रम उत्पन्न करने वाले उन चारों ही (मिथ्यात्व, अविरति, कषाय और योगरूप चारों ही) पायों को काटता है, उसे निःशंक सम्यग्दृष्टि मननपूर्वक जानना चाहिये।
The soul which cuts all the four feet (wrong belief, nonabstinence, passion, and yoga), that create the notion of karmic bondage, must be understood to be a non-doubting right believer.
नि:कांक्षित सम्यग्दृष्टि
जो दु ण करेदि कखं कम्मफले तह य सव्वधम्मेसु । सो णिक्कंखो चेदा सम्मादिट्ठी मुणेदव्वो ।
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(7-38-230)
जो आत्मा कर्मों के फल की तथा समस्त धर्मों की कांक्षा (इच्छा) नहीं करता, , उसे निष्कांक्ष सम्यग्दृष्टि मननपूर्वक जानना चाहिये।