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________________ 'विमला' म्याग्योपेण स्थिर लग्ने द्विस्वभे सूर्ये घरे चन्द्रः प्रवर्तते । क्लेशः शरीरचिन्ता च धनहानिस्तु निषितम् ॥ ११ ॥ प्रश्न लग्न स्थिर हो और द्विस्वभाव में सूर्य हो और चर में चन्द्रमा स्थित हो तो शरीर में क्लेश हो, चिन्ता हो और धन को हानि निश्चय हो ।। ११ ॥ स्थिरलग्ने चरे सूर्ये स्थिरे चन्द्रो भवेत्तदा । मित्रबन्धुविनाशं च न स्त्रीसौख्यं न चात्मनः ॥ १२॥ जो प्रश्न लग्न स्थिर हो और चर लग्न में सूर्य वर्तमान हो और चन्द्रमा स्थिर में हा तो मित्र-बन्धु का विनाश हो और न तो स्त्री को और न तो अपने शरीर को सुख हो ।। १२ ।। स्थिरलग्ने चरे सूर्ये द्विस्वभावे निशाकरः । सर्वसौख्यं महासिद्धिाभसौख्यं धनागमः ॥ १३ ॥ जो प्रश्न लग्न स्थिर हो और चर राशि में सूर्य हो, द्विस्वभाव में चन्द्रमा हो तो सर्व कार्य का सुख, महासिद्धि, लाभ का सौख्य, धनागम हो ॥ १३ ॥ स्थिरलग्ने चरे सूर्ये चन्द्रमाः स्थिर एव च । /WV सर्वकार्ये भवेत सिद्धिर्धनः-धर्मप्रवर्द्धनम् ॥ १४॥ OLLL जो प्रश्न लग्न स्थिर हो और चर राशि में सूर्य प्राप्त हो और चन्द्रमा भी स्थिर ही में हो तो सर्व कार्य की सिद्धि और धन-धर्म की वृद्धि हो ॥ १४ ॥ स्थिरलग्ने द्विस्वभे सूर्य स्थिरे चन्द्रः प्रवर्तते । राज्यप्राप्तिर्धनप्राप्तिः सर्वसौख्यं जयङ्करः ॥ १५॥ जो प्रश्न लग्न स्थिर हो, द्विस्वभाव में सूर्य स्थित हो और चन्द्रमा भी स्थिर ही में वर्तमान हो तो राज्य की प्राप्ति, धन की प्राप्ति, सर्वविषयक सुख और जय को देनेवाला हो ॥ १५ ॥ स्थिरलग्ने स्थिरे सूर्य द्विस्वभावे निशापतिः । चतुष्पदानां हानिः स्याद् व्याधिक्लेशं ध्रुवं भवेत् ॥ १६ ॥ प्रश्न लग्न स्थिर हो और स्थिर में सूर्य स्थित हो और द्विस्वभाव में चन्द्रमा हो तो चतुष्पादों की हानि, व्याधि और क्लेश निश्चय कहना ।। १६ ॥ द्विस्वभावे व लग्ने च द्विस्वभेऽर्के चरे शशी। भूलाभः स्थानलाभश्च स्वजनैः सह संपदः ॥१७॥ जो प्रश्न लग्न द्विस्वभाव हो और द्विस्वभाव ही में सूर्य हो और चर राशि में चन्द्रमा हो तो पृथ्वी का लाभ, स्थान का लाभ स्वजनों से सम्पत्ति हो ॥१७॥ http://www.Apnihindi.com
SR No.009846
Book TitleJyotish Prashna Falganana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayashankar Upadhyay
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1975
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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