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________________ 11 77: 11 ज्यौतिष - प्रश्न - फलग पना १. मेष - चर २. वृष - स्थिर ३. मिथुन - द्विस्वभाव ४. कर्क -चर अथ प्रथमं प्रकरणम् चर - स्थिर - द्विस्वभाव-विधायकचक्रम् ६. कन्या - 1 - द्विस्वभाव १२. मीन - द्विस्वभाव चरे लग्ने घरे सूर्ये चरराशौ तदा सिद्धिफलं नूनं वक्तव्यं शशी यदा । गणकोत्तमैः ॥ १ ॥ जिस समय प्रश्न करने वाला कोई मनुष्य किसी कार्य विषय का प्रश्न करे:- उस काल में मेष - कर्क इत्यादि कोई चर लग्न वर्त्तमान हो और इन राशियों में अर्थात् चर ही राशि में सूर्य हो और चन्द्रमा भी चर ही राशि का हो तो कार्य की सिद्धि निश्चय करके कहना चाहिये ॥ १ ॥ चरलग्ने घरे सूर्ये स्थिरे राशौ शशी भवेत् । तदा सिद्धिनं वक्तव्यमशुभं च भविष्यति ॥ २ ॥ यदि प्रश्न काल में लग्न चर हो और चर राशि में चन्द्रमा हो तो कार्य की सिद्धि नहीं कहना ।। २ ।। चरलग्ने स्थिरे सूर्ये चन्द्रमा स्थिर एव I कार्यभ्रंशो न सख्यं लग्न चर हो कार्य का नाश च विग्रहं च पदे पदे ॥ ३ ॥ http://www.Apni Hindi.com प्रश्न काल में ही लग्न में हो तो ७. तुला — चर ८. वृश्चिक - स्थिर ९. धनु - द्विस्वभाव १०. मकर-चर com राशि का सूर्य हो और स्थिर और स्थिर में सूर्य हो और चन्द्रमा भी स्थिर कहना और यदि मित्रता का प्रश्न हो तो
SR No.009846
Book TitleJyotish Prashna Falganana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayashankar Upadhyay
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1975
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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