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ज्योतिषप्रश्नफलगणना
ध्वाध
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अथ ग्रामप्राप्तिप्रश्नः ध्वजे वृषे गजे सिहे ग्रामप्राप्तिश्च निश्चिता।
श्वाने खरे तथा ध्वांक्षे धूम्र नास्तीति निश्चितम् ॥ ४३ ॥ अनन्तर ग्राम मिलने का प्रश्न.-ध्वांक्ष-वृष-सिंह और गज में ग्राम की प्राप्ति निश्चय करके कहना। और श्वान-खर-ध्वाक्ष-धूम्र में निश्चय करके नहीं कहना ।। ४३ ॥
अथ कार्यसिद्धिप्रश्नः गजे ध्वजे स्थिरं कायं त्वरितं वृष-सिंहयोः ।
दीर्घकाले खरे दाने ध्वांक्षे धूम्र न सिध्यति ॥ ४४ ॥ तदनन्तर-कार्य सिद्धि का प्रश्न-ज-ध्वांक्ष में विलम्ब से कार्य कहना और वृष-सिंह में शीघ्र कार्य को सिद्धि कहना, खर-इवान में बहुत दिनों में और ध्वांक्ष-धूम्र में कार्य की सिद्धि नहीं कहन। ।। ४४ ।। ।।
Com अथ वन्दिमोचनप्रश्न: धूमे श्वाने खरे ध्वक्षि वन्दी शीघ्रं प्रमच्यते।
वृषे गजे ध्वजे सिंहे वन्दिकष्टं समादिशेत् ॥ ४५ ॥ अनन्तर कैदी के छूटने का प्रश्न-धूम्र-श्वान-खर-ध्वाक्ष में बन्दी शीघ्र छुटे-वृष-गज-ध्वज-सिंह में बंदी को कष्ट हो, ऐसा कहना ।। ४५ ॥
अथ कालनियमप्रश्नः ध्वजे सप्तदिनं ज्ञेयं सिंहे पक्षं तथैव च । वृषे मासश्च विज्ञेयो गजे मासत्रयं तथा ॥ ४६ ॥ श्वाने खरे च षण्मासं धूळे ध्वांक्षे च वर्षकम् ।
इति कालं वदेत् प्रश्ने सर्वकार्येषु चिन्तयेत् ॥ ४७ ॥ इसके अनन्तर-काल-नियम का प्रश्न-ध्वज में सात दिन जानना-सिंह में पक्ष भर १५ दिन और वृष में मास जानना, गज में तीन मास कहना ॥४६॥
श्वान-खर में छ मास कहना-और ध्वांक्ष-धूम्र में वर्ष भर कहना-इस तरह प्रश्न में काल-नियम कहना (सर्व कार्य के विषय में चिन्तन करके ) ॥४७॥
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