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________________ २२ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद पूँछ के बाल से वो गोलिकाएँ बुनती है । उसके बाद वो बाँधी हुईं गोलिकाओ को दोनों कान के साथ बाँधकर अनमोल उत्तम जातिवंत रत्न ग्रहण करने की इच्छावाले समुद्र के भीतर प्रवेश करते है । समुद्र में रहे जल, हाथी, भेंस, गोधा, मगरमच्छ, बड़े मत्स्य, तंतु सुसुमार आदि दुष्ट श्वापद उसे कोई उपद्रव नहीं करते । उस गोलिका के प्रभाव से भयभीत हुए बिना सर्व समुद्रजल में भ्रमण करके इच्छा के अनुसार उत्तम तरह के जातिवंत रत्न का संग्रह करके अखंड शरीवाला बाहर नीकल आता है । उन्हें जो अंतरंग गोलिका होती है । उनके सम्बन्ध से वो बेचारे हे गौतम ! अनुपम अति घोर भयानक दुःख पूर्वभव में उपार्जित अति रौद्र कर्म के आधीन बने वो अहेसास करते है । हे भगवंत ! किस कारण से ? हे गौतम ! वो जिन्दा हो तब तक उनकी गोलिका ग्रहण करने के लिए कौन समर्थ हो शके ? जब उनके देह में से गोलिका ग्रहण करते है तब कई तरह के बड़े साहस करके नियंत्रणा करनी पड़ती है बख्तर पहनके, तलवार, भाला, चक्र, हथियार सजाए ऐसे कईं शूरवीर पुरुष बुद्धि के प्रयोग से उनको जिन्दा ही पकड़ते है । जब उन्हें पकड़ते है । तब जिस तरह के शारीरिक मानसिक दुःख होते है वो सब नारक के दुःख के साथ तुलना की जाती है । हे भगवंत ! वो अंतरंग गोलिका कौन ग्रहण करते है ? हे गौतम ! उस लवण समुद्र में रत्नद्वीप नाम का अंतर्वीप है, प्रतिसंतापदायक स्थल से वो द्वीप ३१०० योजन दूर है वो रत्नद्वीप मानव उसे ग्रहण करते है । हे भगवंत ! किस प्रयोग से ग्रहण करते है ? क्षेत्र के स्वभाव से सिद्ध होनेवाले पूर्व पुरुषो की परम्परा अनुसार प्राप्त किए विधान से उन्हें पकड़ते है । हे भगवंत ! उनका पूर्व पुरुष ने सिद्ध किया हुए विधि किस तरह का होता है ? हे गौतम ! उस रत्नद्वीप में २०, १९, १८, १०, ८, ७ धनुष्य प्रमाणवाले चक्की के आकार के श्रेष्ठ वजशिला के संपुट होते है । उसे अलग करके वो रत्नद्वीपवासी मानव पूर्व के पुरुष से सिद्ध क्षेत्र-स्वभाव से सिद्ध-तैयार किए गए योग से कइ मत्स्य-मधु इकट्ठे करके अति रसवाले करके उसके बाद उसमें पकाए हुए माँस के टुकड़े और उत्तम, मद्य, मदिरा आदि चीजे डालते है । ऐसे उनके खाने के लायक उचित मिश्रण तैयार करके विशाल लम्बे बड़े पेड़ के काष्ट से बनाए यान में बैठकर स्वादिष्ट पुराने मदिरा, माँस, मत्स्य, मध आदि से परिपूर्ण कइ तुंबड़ा ग्रहण करके प्रति संतापदायक नाम की जगह के पास आते है । जब गुफावासी अंगोलिक मानव को एक तुंबडा देकर और अभ्यर्थना-विनती का प्रयोग करने लायक उस काष्ठयान को अति वेगवान् चलाकर रत्नद्वीप की और दौड़ जाते है । __ अंडगोलिक मानव उस तुंब में से मध, माँस आदि मिश्रण-भक्षण करते है और अतिस्वादिष्ट लगने से फिर पाने के लिए उनके पीछे अलग-अलग होकर दौड़ते है । तब गौतम ! जितने में अभी काफी नजदीक न आ जाए उतने में सुन्दर स्वादवाले मधु और खुशबुवाले द्रव्य से संस्कारित पुराणा मदिरा का एक तुंब रास्ते में रखकर फिर से भी अतित्वरित गति से रत्नद्वीप की और चले जाते है । और फिर अंगोलिक मानव वो अति स्वादिष्ट, मधु और खुशबुवाले द्रव्य से संस्कारित तैयार किए पुराने मदिरा माँस आदि पाने के लिए अतिदक्षता से उसकी पीठ पीछे दौड़ते है । उन्हें देने के लिए मधु से भरे एक तुंब को रखते है । उस प्रकार हे गौतम ! मद्य, मदिरा के लोलुपी बने उनको तुंब के मद्य, मदिरा आदि से फाँसते तब तक ले जाते है
SR No.009789
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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