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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
चलेगा । और फिर किसी शान्ति के पल में वो हकीकत बताऊँगा । खाए बिना उनके नाम का शब्द न बोलना, उस कारण से मैंने उसका नाम नहीं लिया । शायद बिना खाए उस चक्षुकुशील अधम का नाम लूँ तो उस कारण से दिन में पान भोजन की प्राप्ति न हो शके ।
गौतम ! काफी विस्मय पानेवाले राजाने कुतुहलवश जल्द रसवंती मँगवाई । राजकुमार और सर्व परिवार के साथ भोजन मंड़प में बैठा । अठ्ठारह तरह के मिष्टान्न भोजन सुखड़ी, खाजा और अलग अलग तरह की आहार की वस्तु मँगवाई । इस समय राजाने कुमार को कहा कि भोजन करने के बाद बताऊँगा । राजाने फिर से कहा कि हे महासत्ववान् ! दाइने हाथ में नीवाला है, अब नाम बताओ ।
शायद यदि इस हालात में हमे कोई विघ्न हो तो हमें भी वो प्रत्यक्ष पता चले इसलिए नगर सहित सब तुम्हारी आज्ञा से आत्महीत की साधना करे । उसके बाद हे गौतम ! उस कुमारने कहा कि वो चक्षुकुशीलधाम दुरन्त प्रान्त लक्षणवाले न देखने के लायक दुर्जात जन्मवाले उसका ऐसा कुछ शब्द में बोलने के लायक नाम है । उसके बाद हे गौतम ! जितने में यह कुमारवर नाम लिया कि उतने में किसी को पता न चले ऐसे अचानक अकस्मात से उसी पल उस राजधानी को शत्रु के सैन्य ने घैर लिया । बख्तर पहनकर सज्ज ऊपर झंड़ा लहराते हुए तीक्ष्ण धारवाली तलवार, भाला चमकीले चक्र आदि शस्त्र जिसके अग्र हस्त में है, वध करो ऐसे हण के शब्द से भयानक, कईं युद्ध के संसर्ग में किसी दिन पीछेहठ न करनेवाले, जीवन का अन्त करनेवाले, अतुलबल, पराक्रमवाले, महाबलवाले योद्धा आ गए ।
इस समय कुमार के चरण में गिरकर प्रत्यक्ष देखे प्रमाण से मरण के भय से बेचैन होने के कारण से अपने कुल क्रमगत पुरुषकार की परवाह किए बिना राजा पलायन हो गया। एक दिशा प्राप्त करके परिवार सहित वो राजा भागने लगा । हे गौतम ! उस समय कुमारने चिन्तवन किया कि मेरे कुलक्रम में पीठ बताना ऐसा किसी से नहीं हुआ । दुसरी ओर अहिंसा लक्षण धर्म को जाननेवाले और फिर प्राणातिपात के लिए प्रत्याख्यानवाले मुझ पर प्रहार करना उचित नहीं है । तो अब मुझे क्या करना चाहिए ? या आगारवाले भोजन पानी के त्याग के पच्चक्खाण करूँ ? एक केवल नजर से कुशील का नाम ग्रहण करने में भी इतना बड़ा नुकशान कार्य खड़ा हुआ । तो अब मुझे अपने शील की कसौटी भी यहाँ करना । ऐसा सोचकर कुमार कहने लगा कि यदि मैं केवल वाचा से भी कुशील बनूँ तो इस राजधानी में से क्षेमकुशल अक्षत शरीरवाला नहीं नीकल शकूँगा । यदि मैं मन, वचन, काया ऐसे तीन तरह के सर्व तरीके से शीलयुक्त बनूँ तो मेरे पर यह काफी तीक्ष्ण भयानक जीव का अन्त करनेवाले हथियार से वार मत करना । 'नमो अरिहंताणं' नमो अरिहंताणं ऐसे लोभ को जितने
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श्रेष्ठ तोरणवाले दरवाजे के द्वार की ओर चलने लगे । जितने में थोड़ी भूमि के हिस्से में ग भरता था उतने में शोर करते हुए किसीने कहा कि भिक्षुक के वेश में यह राजा जाते है । ऐसा कहकर आनन्द में आकर कहने लगा कि हर लो, हर लो, मारो मारो, इत्यादिक शब्द बोलते-बोलते तलवार आदि शस्त्र उठाकर प्रवर बलवाले योद्धा जैसे वहाँ दौड़कर आए, काफी भयानक जीव का अन्त करनेवाले, शत्रु सैन्य को योद्धा आ गए । तब खेद रहित धीरे धीरे निर्भयता से त्रस हुए बिना अदीन मनवाले कुमारने कहा कि अरे दुष्ट पुरुष ! ऐसे तामस भाव से तुम हमारे पास आओ । कई बार शुभ अध्यवसाय से इकट्ठे किए पुण्य की प्रकर्षतावाला