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( २००) सक्कया पायया चैव भणितीओ होंति दोणि वि सरमंडलंमि गिते पसत्या इसिमासिया
(२०३ )
(२०१) केसी गायइ महुरं केसी गायइ खरं च रुक्खं च
केसीगायइचउरंकेसी यविलंबियंदुतंकेसीविस्सरंपुणकेरिसी ।।५४।1-54 ( २०२ ) सामा गायइ महुरं काली गाय खरं च रुक्खं च
गोरी गायइ चउरं काणाय विलंबियं दुतं अंधा विस्तरं पुणपिंगला ॥५५ ॥ ४४ सत्त सरा तओ गामा मुच्छणा एगवीसई
ताणा एगूणपन्नासं समत्तं सरमंडलं
॥५६॥ 56
( २०४ ) से तं सत्तनामे | १२७ -127
(२०५) से किं तं अट्टनामे अट्ठविहा वयणविभत्ती पत्रत्ता तं जहा ।१२८-91-128-1 (२०६) निद्देसे पढमा होइ बितिया उवएसणे तइया करणम्मि कया चउत्थी संपयावणे (२०७) पंचमीय अवायाणे छुट्टी सस्सामिवायणे
सत्तमी सत्राणत्ये अट्टमाऽऽमंतणी भवे (२०८) तत्य पढमा विपत्ती निद्देसे-सो इमो अहं व त्ति बिइया पुण उवएसे-मण कुणसु इमं व तंव त्ति (२०९) तइया करणम्मि कया-मणियं व कयं व तेण व मए वा हंदि नमो साहाए हयइ चउत्थी एयाणम्मि
(२१० ) अवजय गेण्ह य एत्तो इतो या पंचमी अवायाणे छुट्टी तस्स इमस्स व गयस्स वा सामिसंबंधे (२११) हवइ पुण सत्तमी तं इमम्मि आधारकालभावे य आमंतणी भवे अट्ठमी उ जह हे जुवाण ति
काम-ककोह- महासत्तु पक्खनिग्धायणं कुणइ (२१७) सिंगारो नाम रसो रतिसंजोगाभिलासंजणणो
अनुओमदारागं- ( २०० )
मंडण - विलास - विबोय -हास - लीला-रमणलिंगो (२१८) महुरं विलास -सलियं हिययुग्मादणकरं जुवाणाणं सामा सहुद्दा दाती मेहलादामं (२१९ ) विम्यकरो अपुव्वो ऽनुभूयपुष्वी य जो रसो होइ हरिसविसायुष्पत्तिलक्खणो अब्धुओ नाम
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(२१२ ) से तं अटुनामे 19241-128
(२१३ ) से किं तं नवनामे नवनामे- नव कव्यरसा पत्रता [ तं जहा ] ।१२९-१ । (२१४) वीरो सिंगारो अब्मुओ य रोद्दो य होइ बोधव्वो
वेलणओ बीभच्छो हासो कलुणो पसंती य (२१५) तत्य परिचायम्मिय तवचरणे सत्तुजणविणासे य अणणुसय-धिति-परक्कमलिंगो वीरो रसो होइ (२१६) सो नाम महावीरो जो रज्रं पयहिऊण पव्वइओ
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॥६३॥-७३
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