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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिसिई २३ खेतान्ना से किं तं कालान्ना कालाणुन्ना जो णं जस्स कालं अनुजाणति जत्तियं वा कालं जम्मि या काले अनुजाणति तं जहा-तीतं वा पशुप्पनं वा अणागतं या वसंतं हेमंतं पाउस या अवस्थाणहेउ सेतं कालान्ना से किं तं मायाणुन्ना मायाणुन्ना तिविहा पन्नत्ता तं जहा लोइया कुप्पावयणिया लोउत्तरिया से किं तं लोइया भावाजुन्ना लोइया भावाणुन्ना से जहानामए राया इ वा जुयराया इ वा जाव तुट्ठे समाणे कस्सइ कोहा इभावं अनुजाणिज्जा सेत्तं लोइया भावाजुन्ना से किं तं कुप्पावयणिया भावाणुन्ना कुष्पावयणिया भावाणुन्ना से जहाणामए केइ आयरिए इ वा जाय कस्सइ कोहाइभावं अनुजाणिजा सेत्तं कुप्पावयणिया भावाणुन्ना से किं तं लोउत्तरिया भाषाणुन्ना लोउत्तरिया भावान्ना से जहाणामए आयरिए इ या जाव कष्मि कारणे तुट्ठे समाणे कालोचियनाणाइगुणजोगिणी विणीयस्स खमाइपहाणस्स सुसीलस्स सिस्सस्स तिविहेणं तिगरणविसुद्धेणं भावेणं आयारं वा सूपगडं या ठाणं वा समवायं वा विवाहपत्रत्तिं वा नायाधम्मकहं वा उवासगदाओ वा अंतगडदसाओ या सव्यदव्य-गुण-पावेहिं सव्वाणुओगं या अनुजाणिज्जा सेत्तं लोउत्तरिया भावना सेतं भाचाणुन्ना । १ । - 1 (२) (2) (४) किमणुण्ण कस्स जुन्ना के वतिकालं पवत्तिया णुन्ना आदिकर पुरिमताले पत्तिया उसभसेणस्स 11911 ॥२॥ अणुन्ना उण्णमणी नमणी नामणी ठदणा पभयो पभावण पयारो तदुभय हिय मज्जाया नाओ मग्गो य कप्पो य संगह संवर निज्जर ठिइकरणं चैव जीववुद्धिपर्यं पदपवरं चैव तहा बीसमणुन्नाए नामाई • नंदी तसे पढमं परिसिदं अनुज्ञा नंदी समत्ता ( परिसिट्ठे-२ - जोगनंदी 11311 (१) नाणं पंचविहं पश्नत्तं तं जहा आभिणिबोहियनाणं सुयनाणं ओहिनाणं मणपञ्जवनाणं केवलनाणं तत्थ णं चत्तारि नाणाई ठप्पाई टवणिजाई नो उद्दिस्संति नो समुद्दिस्संति नो अनुन्नविनंति सुयनाणस्स पुण उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ जइ सुयनाणस्स उद्देसो समुद्देसो अन्ना अनुओगो य पवत्तइ किं अंगपविट्ठस्स उद्देसो समुद्देसो अगुन्ना अणुओगो य पवत्तइ किं अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगे य पवत्तइ गोयमा अंगपविट्ठस्स वि उद्देसो समुद्देसी अणुन्ना अनुओगो य पव्वत्तइ अंगबाहिरस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो. य पवत्तइ इमं पुण पट्टवणं पडुछ अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ, जइ पुण अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अजुन्ना अनुओगो य पवत्तइ किं कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो व पवत्तइ उक्कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ गोयमा कालियस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ उक्कालियस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुना अनुओगो य पवत्तइ इमं पुण पट्टवणं पडुच उक्कालियेस्स उद्देसो समुद्देसो अणुना अनुओगो य पवत्तइ जह उक्कालियरस उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ किं आवस्सगस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगी य पवत्तइ आवस्सगवइरित्तस्स उद्देसो समुद्देसी अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ आवस्सगस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ For Private And Personal Use Only
SR No.009774
Book TitleAgam 44 Nandisuyam Chulikasutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages34
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 44, & agam_nandisutra
File Size1 MB
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