________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अलपण
।११२७/30
||११२८-31
||११२९॥-32
।।११३०-33
॥११३11-34
||११३२/35
॥११३३||-36
||११३४/37
(१२१८) पायच्छितं विणओ वेयावचं तहेव सझाओ
भाणंच विउस्सग्गोएसो अभितरोतको (१२१९) आलोयणारिहाईयं पायच्छित्तं तु दसविहं
जंभिक्खू वहई सम्मं पायच्छितं तमाहियं (१२२०) अब्मुट्ठाणं अंजलिकरणं तहेवासणदायणं
गुरुमत्तिमावसुस्सूसा विणओ एस वियाहिओ (१२२१) आयरियमाईए वैयावश्चम्मिदसविहे
आसेवणं जहायामं येयावचं तमाहियं (१२२२) घायणा पुच्छणा चेव तहेव परियट्टणा
अणुप्पेहा धमकहा सग्झाओ पंवहा पवे (१२२३) अहरुहाणि वञ्जित्ता झाएमा सुसमाहिए
धम्मसुक्काइंशाणाइंशाणं तंतु बुहा वए (१२२४) सयणासणठाणे याजे उभिक्खू न वावरे
कायस्स विउस्सगो छटो सो परिकित्तिओ (१२२५) एवं तंतु दुविहंजे सम्मआयरे मुणी से खिप्पं सव्यसंसारा विप्पमुच्चइ पंडिओ -त्ति बेमि।।
तीसइमं अजयणंसपतं.
एगतीसइमं अज्झयणं-चरणविही | (१२२६) चरणविहिं पवक्खामिजीयस्स उ सुहावरं
जंचरित्ता बहूजीया तिण्णा संसारसागरं (१२२७) एगओ विरई कुआ एगओ यपवत्तणं
असंजमे नियतिं च संजमे य पवत्तणं (१२२८) रागद्दोसे यदोपावे पापकम्मपयत्तणे
जे मिक्खू रूंमई निचं से न अच्छइ मंडले (१२२९) दंडाणं गारवाणं च सल्लागं च तियंतियं
जे भिक्खू चयई निधं से न अच्छइ मंडले (१२३०) दिब्वे यजे उवसग्गे तहातैरिच्छमाणुसे
जे भिक्खू सहइ निच्च से न अच्छइ मंडले (१२३१) विगहाकसायसन्नाणं शाणाणंघदुयंतहा
जे भिक्खू बाई निश्चं से न अच्छइ मंडले (१२३२) वएसुइंदियत्येसुसमिईसु किरियासु य
जे मिक्खू जयई निचं से न अच्छइ मंडले (१२३३) लेसासु छसुकाएसु छक्के आहारकारणे
जे मिक्खू जयई निमं से न अच्छह मंडले (१२५) पिंडीग्गहपडिमासु भयहाणेसु सत्तसु
जे भिक्खू जयई निचं से न अच्छइ मंडले
19१३५/-1
11११३६/-2
||११३७13
1११३८1-4
॥११३९-
119१४018
11991917
11११४२18
।।११४३॥
For Private And Personal Use Only