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॥१०३३,42
||१०३८147
उत्तराषि-२०n (101) पारियकउस्सग्गो वन्दिताण तओ गुरु देसियं तु अईयारं आलोएस जइक्कम
॥७०३-40 (30) पडिक्कमित्तु निस्सालो वदित्ताण तओ गुरुं
काउस्सगं तओकुञा सव्वदुक्खविमोक्खणं १०३२|41 (१०४८) पारियकाउस्सग्गो वंदित्ताण तओ गुरु
थुइमंगल धकाऊण कालं संपडिलेहए (Hare) पदमपोरिसि सम्झायं वियं नाणं झियायई
तइयाए निहमोक्खंतुसज्झायं तु चउथिए ॥१०३४॥4 (१०५०) पोरिसीए धउत्पीए कालं तुपडिलेहिया ___सन्माय तुतओ कुझा अबोतो असंजए
॥१०३५144 (१०४) पोरिसीए चउमाए वंदिऊण तओ गुरुं पडिक्कमित्तु कालस्स कालंतु पडिलेहए
॥१०३६/-43 (१०५३) आगए काययोस्सग्गेसव्वदुक्खविमोक्खणे काउस्सागंतओ कुझा सव्वदुक्खविमोक्खणं
॥१०३७/48 (१०५५) राइयं च अईयारं चिंतित अणुपुष्यसो
नाणमिदंसामय चरितमि तवंमिय (१०५४) पारियकाउस्सग्गो वंदित्ताण तओ गुरुं राइयं तु अईयारं आलोएअजहक्कम
११०३९/148 (१०५५) पडिक्कमित्तु निस्सल्लो वंदित्ताण तओ गुरुं
काउस्सगंतओ कुआ सव्वदुक्खविमोक्खणं ||१०1०149 (१०५६) किं तवं पडिवामि एवंतत्यविचिंतए। काउत्सगंतु पारिताबन्दईयतओगुहं
111०४91-80 (२०५७) पारियकाउस्सग्गो वंदित्ताण तओ गुरु
तवं संपडिवजेत्ता कुझा सिद्धाण संघवं (१०५८) एसा सामायारीसमासेण वियाहिया जंचरिता बहू जीवा तिष्णा संसारसागरं-तिबेमि।। ||१०४३1-62
वीसहर्ष जापर्ण तमा..
सत्तावीसइमं अजयणं-खलुकिलं | (१०५१) यो गणहरे गग्गेमुणी आसि विसारए
आइण्णे गणिमावम्मिसमाहिं पडिसंघए (१००) यहणे वहमाणस्स कंतार आइवत्तई
जोए वहमाणस्स संसारोअइवत्तई (१०) खलुंके जोउजोर विहम्माणो किलिस्सई असमाहि ध वेएइ तोत्तओपसे माई
१०४६/-3 (१०३) एगंडसइ पुच्छम्मिएणं विंघइऽमिक्खणं
एगो मंजइसमिलं एगो उप्पहपहिओ
॥१.२1-51
॥901
||१०४५12
1190 YIK
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