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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [प०] ॥५९२) 48 ॥५९३1-48 ॥५९४।।-47 ||५९५|| -48 ॥५९६।। - 40 १५९७॥ - 50 ||५१८|| -51 मनपणं (101) नमी नमेइ अप्पाणं सक्खं सक्केणंचोइओ घइऊण गेहं पइदेही सामण्णे पज्जुबहिओ (१०५) करकंडू कलिंगे पंचालेसुपदुमुहो नमी राया विदेहेसुगंधारेसुय नगाई (101) एए नारिंदवसमा निक्खंता जिनसासणे पुत्ते र ठवेऊणं सामष्णे पज्जुवडिया (६०७) सोवीरराययसभो घइत्ताण मुणी घरे उदायणो पव्यइओ पत्तो गइमनुत्तरं (१०८) तहेय कासीराया सेओ सच्चपरक्कमे कामभोगे परिचज पहणे कम्पमहावणं (१०९) तहेव विजओराया अणष्टाकित्ति पव्वए रजंतु गुणसमिखं पयहित्तु महाजसो (१०) तहेवुग्गंतवं किया अव्वक्खित्तेण चेयसा महब्बलो रायरिसीआदाय सिरसा सिरि (199) कलं धीरो अहेहिं उम्मत्तो व महिं चो एए विसेसमादाय सूरा दढपरककमा (११२) अजंतनियाणखमा सघा मे मासिया वई अतरिसुतरंगे तरिसंति अनागया (61) कह धीर अहेऊहिं अत्ताणं परियावसे सव्वसंगविनिम्मुक्के सिद्धे भयइ नीरए -त्ति बेमि॥ आरसमं अजायणं समत एपूणविसइमं अन्ययणं-मियापुत्तिजं | (१४) सुग्गीवेनयरे रम्मे काणणुशाणसोहिए राया बलभद्दोति मिया तस्सागमाहिसी (१.५) तेसिं पुते बलसिरी मियापुत्ते ति विस्सुए अम्मापिऊण दइए जुवराया दमीसरे (६११) नंदणे सो उ पासाए कीलए सहत्यिहि देवे दोगुंदगो चेव निझं मुइयमाणसो (११७) मणिरयणकुष्टिमतले पासायालोयणडिओ आलोएइ नगरस्स चउक्कत्तियचछरे (१८) अहतत्य आच्छंतं पासई समणसंजय तवनियमसंजमधरं सीलई गुणआगरं (U९) तं देहई मियापुत्ते दिडीए अणिमिसाए उ कहिं मोरिस एवं दिपुवं मए पुरा (६२०) साहुस्स परिसणे तस्स अज्झवसाणम्मि सोहणे मोहं गयस्स संतस्स जाईसरणं समुप्पानं ॥५९९|| - 52 ॥६००|| -63 ॥६०१11-1 ॥६०२॥ -2 ॥६०३||.3 ॥६०४॥ · 4 ॥६०५|| - ॥६०६|.6 Heoul - 7 For Private And Personal Use Only
SR No.009773
Book TitleAgam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages114
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 43, & agam_uttaradhyayan
File Size2 MB
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