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अापणं-द
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(१६७) अज्झत्यं सव्वाओ सव्वं दिस्स पाणे पियायए न हणे पाणिणो पाणे भववेराओ उवरए (१६८ ) आयाणं नरयं दिस्स नायएसा तणामवि दोगंछी अप्पणो पाए दित्रं भुंजेन भीषणं (१६९) इहमेगे उ मांति अप्पक्खाय पावगं
आयरियं विदित्ताणं सव्वदुक्खा विमुच्ाई (१००) मणंता अकरेंता य बंधमोक्खपइण्णिणो वायाविरियमेत्तेण समासासेति अप्पयं (१०१) न वित्ता तायए मासा कुओ विजाणुसासणं बिसना पावकम्मे हि बाला पंडियमाणिणो (१७२ ) जे केइ सरीरे सत्ता वण्णे रूवे य सव्वसो
माणसा काययक्केणं सव्ये ते दुक्खसंभवा ( १०३ ) आवत्रा दीहमद्धाणं संसारम्मि अनंतए तन्हा सव्वदिसं पस्स अप्पमत्तो परिव्वए (१७४) बहिया उष्ठमादाय नायकखे कयाइवि पुव्यकम्पक्खयट्ठाए इमं देहं समुद्धरे (१७५) विविञ्च कम्पुणो हेउं कालकंखी परिव्वए मायं पिंडस्स पाणस्स कई लवण भक्खए (१७६) सन्निहिं च न कुव्वे लेवमायाए संजए पक्खी पत्तं समादाय निरवेक्खो परिव्यए (१७७) एसणासमिओ लज्जू गामे अणिएओ चरे
( १७९) जहाएसं समुद्दिस्स कोइ पोसेज एलयं ओयणं जवसं देखा पीसेजावि सांगणे
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(१८०) तओ से पुढे परिवृढे जायमेए महोदरे पीजिए विउले देवे आएसं परिकंखए (१८१ ) जाव न एइ आएसे ताव जीवइ से दुही अह पत्तिम्मि आएसे तीसं छेत्तूण भुजई (१८२) जहा से खलु उरमे आएसाए समीहिए एवं बाले अहम्पिट्ठे ईहई नरयाजयं (१८३) हिंसे वाले मुसावाई अद्धामि विलोचए अप्रदत्तहरे तेणे माई कण्डु हरे सदे
११६६॥ -7
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॥१६७॥१-३
1198211-0
1196811-10
1199011-11
1190911-12
।।१७२॥-13
।।१७३ ।। -14
अप्पमत्तो पत्तेहिं पिंडवायं गवेसए (१७८) एवं से उदाहु अनुत्तरनाणी अनुत्तरदंसी अनुत्तरनाणदंसणधरे अरहा नायपुत्ते भगवं वेसालिए वियाहिए -त्ति बेमि । अायणं मतं ।
● सत्तमं अज्झयणं-उरब्भिजं
॥१७४॥-16
॥१७५॥ 16
॥१७६॥ -17
।।१७७-18
॥१७८॥-1
।।१७९॥ -2
||१८०|| -3
119 29 11-4
॥१८२॥ -5
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