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बसपण-२ (47) अरईपिओ किया विरए आयरखिए
धम्मारामे निरारंमे उपसंते मुणी चरे सगो एस मणूसाणंजाओ लोगंमि इत्यिओ जस्स एया परित्राया सुकडं तस्स सामन्नं एयमादाय मेहावी पंकभूया उइथिओ नोताहिं विनिहन्त्रेझा चरेअत्तगवेसए एग एवघरे लाढे अभिभूय परीसहे गामे वा नगरे वावि निगमे वा रायहाणिए असमाणो घरेभिक्खू नेव कुजा परिग्गह असंसतो गिहत्येहि अणिएओ परिब्बए सुसाणे सुधगारे वारुखमूले वएगओ अकुक्कुओ निसीएलान य वित्तासए परं तस्य से चिट्ठमाणस्स उयसग्गाभिधारए
संकामीओन गच्छेज्जा उद्वित्ता अत्रमासणं (७१) उच्चावयाहिं सेझाहिं तवस्सी मिक्ख्यामवं
नाइदेलं विहन्नेझा पायदिट्ठी विहन्नई पइरिक्कुवस्सयं लटुं कल्लाणमदेव पावयं किमेगराई करिस्सइएवं तत्यऽहियासए अक्कोसेला परे भिक्खुंनतेसं पडिसंजले
सरिसो होइ वालाणं तम्हा भिक्खू न संजले (०४) सोमाणंफरुसा माला दारुणा गामकंटगा
तसिणीओउवेहेडान ताओ मणसीकरे (७५) हओन संजले मिक्खूमणंपिन पओसए
तितिक्खं परमं नच्चा भिक्खु धम्म विचिंतए (७) समणं संजय दतहणेला कोइ कत्यई
नत्यिजीवस्स नासुत्तिएवं पेहेज संजए (७७) दुक्करंखलु भो निचं अणगारस्स भिक्खुणो
सव्यं से जाइयं होइ नत्यि किंचि अजाइयं (७८) गोयरग्गपबिगुस्स पाणी नो सुप्पसारए
सेओ अगारवासुति इइ भिक्खुन चिंतए परेसुधासमेसेजआ भोयणे परिणिहिए लद्धे पिंहे अलद्धे वा नाणुतप्पेश पंडिए अमेवाईनलमामि अविलाभो सुएसिया
जो एवं पडिसंचिक्ने अलापोतं न तजए (८१) नया उप्पइयं दुक्खं वेयणाए दुहहिए
अदीणो धावए पत्रं पुट्ठो तत्थहियासए
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