________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
६८
नमो नमो निप्पल पस पंचम गणपर श्री सूमा स्वामिने नमः
||१||-1
||२||-2
||३||-3
||४||-4
॥५]-5
॥६॥-6
191पा.-1
पिडानजात्त पिंडे उग्गम उप्पायणेसणा जोयणा पमाणे य इंगाल घूम कारण अद्वविहा पिंडनिझुत्ती पिंड निकाय समूहे संपिंडण पिंडणाय सपवए समुसरण निचय उवचय चए यजुम्मेय रासीप पिंडस्स उ निस्खेयो चउक्कओ छक्कओवकायचो निक्खेवं काऊणं परूवणा तस्स कायव्या कुलए य चउमागस्स संपवो छक्कए चउण्हं च नियमेण संभवो अत्यिछक्कगं निक्खिये तम्हा नामंठवणापिंडो दवे खेतेय काल मायेय एसो खलु पिंडस्स उ निक्खेयो छब्बिहो होइ गोण्णं समयकयं वाजं वावि हवे तदुभएण कर्य तं बिंतिनामपिंडंठवणापिंड अओवोच्छं गुणनिफवं गोण्णं तं वेवजहस्थम सत्यवी बेति तं पुण खवणो जलणोतवणो पदणो पईबोय पिंडण बहुदव्याणं पडिवखेणाविजय पिंडक्खा सोसमयकओ पिंडोजह सुत्तं पिंडपडियाई जस्स पुण पिंडवायद्वयं पविद्वस्स होइ संपत्ती गुडओयणपिंडेहिं तं तदुपयपिंडमाइंसु उभयाइरित्तमहवा अपि अत्यि लोइयं नाम
अत्ताभिप्णायकयंजह सीहगदेवदत्ताई ___ गोण्णसमयारित इणमनं वाऽविसूइयं नाम
जह पिंडउत्ति कीरइ कस्सइ नाममणूसस्स तुल्लेऽवि अभिप्पाए समयपसिद्धं न गिण्डए लोओ जंपुण लोयपसिखं तं सामइया उयचरंति अक्खे वराइए या कढे पुत्येव चित्तकम्मे वा
समावमसमावेठवणापिंड वियाणाहि (१४) इक्को उ असमावे तिहंठवणा उ होइ समावे
चित्तेसु असमावेदारुअलेप्पोबले सियरो तिविहो उदयपिंडो सछित्तो मीसओ अवितोय एक्केक्कस्स य एतो नय नय मेआउ पत्तेयं
॥२॥पा.-2
॥३॥ पा.-3
॥४था-4
॥५॥ पा.
॥६॥पा.-8
॥७॥-7
||७|भा.-7
1241-8
For Private And Personal Use Only