________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||638||-837 मोहनिमुत्ति - (968) (968) चउपागवसेसाए चरिमाए पडिक्कमित्तु कालस्स उचारे पासवणे ठाणे वउवीसईपेहे / / 633 / / -832 (951) अहियासिया उ अंतो आसने मम्झि तह य दूरे प तिन्नेव अणहियासी अंतो छच्छच बाहिरओ // 634||-633 (970) एमेव य पासवणे बारस चउवीसइंतु पेहिता कालस्सवि तिन्नि भवे अह सूरोअत्यमुवयाई // 635||-634 (971) जइपुण निव्याघाओ आवासं तो करेंति सव्वेवि सड्ढाइकहणवाघायताएँ पष्ठा गुरूठंति // 636 // -635 (942) सेसा उ जहासत्ती आपुछित्ताण ठंति सहाणे सुत्तत्यझरणहेउं आयरिऍठियमि देवसियं // 637||-636 (973) जो होञ्ज उ असमत्यो बालो वुड्ढो गिलाण परितंतो सो आघस्सगजुत्तो अछेला निसरापेही (944) आवासगं तु काउंजिणवरदिटुंगरूवएसेणं तिमि युई पडिलेहा कालस्स विही इमो तत्य / / 639 / -038 (975) दुविहो य होइ कालो वाघातिम एयरोय नायव्यो वाघाओघंघसालाएँ घट्टणं सड्ढकहणंवा 64011-839 (971) याघाते तइओ सिं दिञ्जइ तस्सेव ते निवेयंति निव्याघाते दुत्रि उ पुच्छंती काल घेच्छामो // 641 / -640 (977) आपुच्छण किइकर्म आवस्सिय खलियपउियवाधाओ इंदिय दिसायतारावासमसज्झाइयं चेव // 62/-841 (978) जइपुण वाताणंछीयंजोइंच तो नियतंति निबाघाते दोत्रि उ अच्छंति दिसा निरिक्वंतां // 643||-842 (979) गोणादि कालभूमीऍ होजसंसप्पगा प उठेशा कविहसियवासविअक्कगजिए वावि उवघातो / / 6441-843 (980) सज्झायमचिंतता कणगं दलूण तोनियत्तंति वेलाएँ दंडधारी मा खोलं गंडए उवमा // 645||-844 (981) आधोसिए बहहिंसुर्यमि सेसेसुनिवडइदंडो अह तंबहूहि न सुयं दंडिआइगंडोताहे / / 646|-845 (982) कालोसज्झाय तहा दोविसमप्पंति जहसमंव तह तं तुलंति कालं धरिमदिसंवा असम्झागं 16471-846 (983) पियधम्मो दढधप्पो संविग्गोवेवऽवमभीरूय खेयत्रो य अभीरू कालं पडिलेहए साहू IN6481-847 (984) आउत्तपुवमणिए अणपुच्छा खलियपडियवाघाते घोसंतमूढसंकियइंदियविसएवि अमणुन्ने // 6491-848 (985) निसीहिया नमोक्कारे काउस्सग्गेयपंचमंगलए पुव्याउत्ता सव्वे पट्टवणचउक्कनाणतं // 650||-848 For Private And Personal Use Only