________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir WY मोहनिपुत्ति - (752) 249|| पा.-240 250 // पा.-250 I77||-478 251 // .-251 // 252 // पा.-252 // 253 // पा.-263 // 254 // पा.-254 255|| पा.-255 (752) यचंती छक्काया पमहए हिट्ठतिरियंच फलवल्लिरुखसाला तिरिया मणुया य तिरियंतु (753) कंटगमाई य आहे उप्पि अहिमादिलंबणे आया तस्स सरीरविणासो मिच्छत्तुहाहवोच्छेओ (754) नीयदुवारुग्घाडणकवाडठिय देह दारमाइने इतिरपत्थियलिदे गहणं पत्तस्स ऽपडिलेहा (755) नियमा उ दिदगाही जिणमाई गच्छनिणया होति येरावि दिट्ठगाही अदिहिकरति उवओगं (756) नीयदुवारुवओगे उड्डाहि अवाउडा पदोसोय हियनमिय संकाएमेयकवाडउग्घाडे (757) देहऽनसरीरेण य दारं पिहिअंजणाउलं वावि इड्रपत्थियलिंदेण वावि पिहियं तर्हि वादि (758) एतेहिऽदीसमाणे अगहणं अह व कुञ्ज उवओगं सोतेण चक्खुणाघाणओयजीहाऍफासेणं (751) हत्यं मत्तं च धुवे सद्दो उदकस्स अहव मत्तस्स गंधे य फुलिंगाई तत्येय रसो फरिसबिंदू (750) सो होइ दिवगाही जो एते मुंबई पदे सब्वे निस्संकिय निग्गमणं आसंकपयंमिसंचिक्खे (761) आगमणदायगस्सा हेटा उवरिंच होइ जह पुचि संजमआययिराहण दिलुतो होइ वच्छेण (2) पत्तस्स उ पडिलेहा हत्ये पत्ते तहेव दव्वे य उदउल्ले ससिणिद्धे संसत्तेचेव परियत्ते (753) तिरियं उड्ढमहेविय भायणपडिलेहणं तु कायव्यं हत्यं मत्तं दव्वं तिन्नि उ पत्तस्स पडिलेहा (764) मा ससिणिद्धोदउल्ले तसाउलं गिण्ड एगतरदटुं परियत्तियं च मत्तं ससिणिद्धाईसु पडिलेहा (765) पडिओ खलु हट्यो कित्तिम साहाविओय जो पिंडो संजमआयविराहण दिलुतो सिडिकव्यहो (766) गरविसअट्ठियकंटय विरुद्धदमि होइ आयाए संजमओ छक्काया तम्हा पडियं विनिचिना (067) अणमोगेण भएणय पडिणी उम्पीस भत्तपाणमि दिजा हिरण्णमाई आवाण संकणा दिढे (768) उक्लेवे निक्खेवे महालया लुद्धया वहो दाहो अचियत्ते वोच्छेओछक्कायवहो य गुरुमत्ते (19) गुरुदव्वेण व पिहिअंसयंच गुरुयं हवेज जंदव्यं उक्लेवे निक्खेवे कउिभंजण पाय उवरिवा 256|| पा.-256 // 478||-477 ||479||-478 // 257|| मा.-259 // 258 // पा.-280 ||48011-479 // 481||-480 ||4821-481 3483||-482 ||259|| पा.-281 For Private And Personal Use Only