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गाहा.१५८
||६०l मा.-80
॥६॥पा.-61
॥६॥पा.-62
॥६३ मा.-63
॥६॥पा.-84
॥९६||-95
॥२७॥-96
॥९८1-97
||९९||98
(१५८) अद्दिष्टे किं वेला तेसि निबंधमि दायणे खिंसा
ओहामिओ उ बडुओ वण्णोय पहाविओतहिअं (१५९) सुण्णघरासइ बाहिं देवकुलाईस होइ जयणा उ
तेगिच्छिधाउलोभो मरणं अनुकंप पडिअरणं {१६०) इरियाइ पडिक्कतो परिगुणणं संधिआ मि का गुणिआ
अम्हं एसुवएसो धम्मकहा दुविहपडियत्ती (१६) पंडिल्लासइ चीरं निवायसंरक्खणाइपंचवे
सेसं जायंडिल्लं असईए अण्णगामंमि (१६२) अपहुपंते काले तं चैव दुगाउयं नइक्कामे
गोमुत्तिअड्ढाइसु भुंजइ अहवा पएसेसुं (१६२) दिट्ठमदिट्ठा दुविहा नायगुणा चेव हुँति अन्नाया
__ अद्दिष्टाविय दुविहा सुअमसुअपसत्थमपसत्था (१६४) दिवाव समोसरणे न य नायगुणा हवेज ते समणा
सुअगुण पसत्य इयरे समणुनिअरे यसव्वेवि (१६५) जई सुद्धा संवासो होइ असुद्धाण दुविह पडिलेहा
अभितरबाहिरिआदुविहा दवे य मावे य । (१६६) घडाइतलिअदंडग पाउय संतगिरी अनुवओगो
दिसि पचण गाम सूरिय वितहं अच्छोलणा दव्वे {१६७) विकहा हसिउगाइय भित्रकहाचक्कवालछलिअकहा
माणुसतिरिआवाए दायणआयरणया भावे (१६८) बाहिं जइवि असुद्धा तहावि गंतूण गुरुपरिक्खाउ
अहद विसुद्धातहवि उ अंतो दुविहा उ पडिलेहा (१६१) पविसंत निमित्तमणेसणे व साहइन एरिसासमणा
अम्हंपिते कहती कुक्कुडखरियाइठाणंच (१७०) दव्यंमि ठाणफलए सेजासंथारकायउच्चारे
कंदप्पगीयविकहावुग्गहकिशय मामि (१७१) संदिग्गेसुपवैसो संविग्गऽमणुन बाहि किइकम्म
ठवणकुलापुच्छणया एत्तोधिय गच्छ गविसणया (१७२) संविगसंनिभद्दग सुन्ने निइयाइ मोत्तुऽहाछंदे
वनंतस्सेतेसुंवसहीए मग्गणा होइ (१७३) घसही समणुष्णेसुंनिइयादमणुण्ण अण्णहिं निवेए
संनिगिहि इत्थिरहिए सहिए वीसुंघरकुडीए (१७४) अहणुव्यासिअ सकवाड निधिले निचले वसइ सुण्णे
अनिवेइएयरेसिं गेलनेन एस अम्हति (१७५) नीयाइअपरिभुत्ते सहिएयर पक्खिए व सझाए
कालो सेसमकालो वासो पुण कालचारीसु
||१००11-89
॥१०१1-100
११०२|1-101
॥१०३||-102
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१०७||-100
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