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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||८७ अपर्ण (५६७) अमयाहारं मत्तीए देइ संयुणइ जाय य पसूओ जह जाय-कम्म-विनिमोग-कारियाओ दिसा कुमारीओ ॥५॥ (५६८) सव् निय कत्तब् निव्यत्तंती जहेव मत्तीए बत्तीस-सुर-वरिंदा गरुय-पमोएण सव्व-रिद्धीए 11८६|| (५६९) रोमंच कंचु-पुलइय-भतिब्मर-मोइय-सगत्ते मन्ते सकयत्यं जपं अम्हाण पेरुगिरि-सिहरे (५७०) होही खणं अप्फालिय-सूसर-गंभीर दुंदुहि-निघोसा जय-सह-मुहल-मंगल-कयंजली मह यखीर-सलिलेणं ||८|| (५७१) बहु-सुरहिं गंधवासिय-कंचण-मणि तुंग-कलसेहिं जम्माहिसेय-महिमं करेंति जह जिनवरो गिरिं चाले ॥९॥ (५७२) मह इंदं वायरणं भयवं वायरइ अट्ट-बरिसोवि जह गमइ कुमारत्तंपरिणे बोहितिजह व लोगंतिया देवा ॥९॥ जह-बय-निक्खमण-महं करेंति सब्वे सुरीसरा मुइया जह अहियासे घोरे परीसहे दिव्व-माणुस-तिरिच्छे ॥११॥ (५७४) जह धण-धाइ-वउक्कं कम्मं दहइ घोर-तव-ज्झाण-जोग-अग्गीए लोगाऽलोग-पयासं उप्पाए जहय केवलनाणं । ॥१२॥ (५७५) केवल-महिमं पुनरवि काऊणंजह सुरीसराईया पुच्छंति संसए धम्म-नाय-तब चरणमाईए (५७६) महध कहेइ जिणिंदो सुर-कप-सीहासणोवविट्ठोय तं चउबिह-देव-निकाय-निम्मियंजर व वर-समवसरणं तुरियं करेंति देवा जंरितीए जगंतुलइ (५७७) जत्य समोसरिओ सो भुवणेक्क-गुरू महायसो अरहा अद्वमह-पाडिहेरय-सुचिंधियं वहइ तित्ययं नामं ।।९५॥ (५७८) जह निद्दलह असेसं मिच्छन्तं चिक्कणं पि भव्वाणं पडिबोहिऊण मग्गे ठवेइजह गणहरा दिक्खं ॥१६॥ (५७९) गिण्हंति महा-मइणो सुतं गंयंतिजह वयलिणिंदो भासे कसिणं अत्यं अनंत-गम-पनवेहिंतु (५८०) जह सिज्झइ जग-नाहो महिमं नेव्वाण-नामियं जहंय सव्वे विसुर-वरिंदा असंभवे तह वि मुचंति १९८॥ (५८१) सोगत्ता पगलंतंसु-धोय-गंडयल-सरसइ-पवाहं कलुणं विलाव-सदंशसामि कया अनाह त्ति ॥१९॥ (५८२) जह सुरहि-गंध-गब्मिण-महंत-गोसीस-चंदण-दुमाणं कद्वेहि विही-पुव्वंसक्कारं सुरवरा सव्ये (५८३) काऊणं सोगत्तासुण्णे दस-दिसि-वहे पलोयंता जह खीर-सागरे जिन-वराण अट्ठीपखालिऊणंघ (५८४) सुर-लोए-नेऊणं आलिंपेऊण एवर-चंदण-नसेणं मंदार-पारियायय-सयवत्त-सहस्सपत्तेहि 1190२॥ ॥९३111 ॥९४ा |९७॥ ॥१००। 19090 For Private And Personal Use Only
SR No.009768
Book TitleAgam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages154
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 39, & agam_mahanishith
File Size3 MB
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