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महानिसीहं - ७/-१३९३
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किंचि षणमेगमवि पमाए से णं अवंदे उवदिसेजा जे उ णं तु सुपहा कारणिगे वि संते गणी खणमेगमवी न किंचि निययावस्सगं पमाए से णं वंदे पूए दट्टव्ये जाव णं सिद्धे बुद्धे पार-गए खीणट्ठकम्ममले नीरए उवइसेजा सेसं तुमहया पवंधेण स-द्वाणे चेव माणिहिइ।१६। (१३९३) एवं पच्छित्तविहिं सोऊणाणुहती अदीन मनो जुंजइ य जहा-यामंजे से आराहगे भणिए
॥२०॥ (१५९४) जल-जलण-दुद्व-सावय-चोर नरिंदाहि-जोगिणीण भए
तह भूय-जक्खरक्खस-खुद्दपिसायाण मारीणं (१३९५) कलि कलए विग्ध-रोहग-कंताराडइ-समुद्द-मन्झे या दुश्चिंतिय अवसउणे संभरियव्या इमा विना
॥२२॥ (१३९६) प्अअ एह इम्, अण्अम् अण्उ अम्धु अण्इ उप्पएह इम्त् इव् इक्क् अम् उ ण् आ हुई हइम्प्अव्व् अण्आ म् उह्इअएह अउ भूउ एहइभम् अह उस् उ उ अण् उ, म् अत्य अ इद् एउ अण् अम्त् उ एइम् अत् अस्इ क् ख् अण् अम्ध्एम्पइसस अम्
[पाएहिं जणदणु जंघ निउम्मेहिं तिविक्कम नाहिहिं पव्वनामु हियए हरु मुएहिं महुसूदणु
मत्यइ देउ अनंतु एहिं अत्थ सिक्खणं धेप्पिस्स] य् अस् एई, जण आम्दे ण् उ ज्अन्ण हा ण इ उम्म् ए इ इम्त इवइक म उ ण् आ ह्इए हुइम् पव्याण आ गओइह अ एह उह इम् मह सु उ उ अण् उ पूद इद ए ओ आ ण् असूच उ एहम्इम् इम्वइसुख्क अल् अम्घ ए प्इस् स् अम्च उ
तओ एयाए पवर-विजाए विहीए अत्ताणगं समहिमंतिऊण इमे य सत्तक्खरे उत्तमंगोमयखंध-कुच्छी चलणतलेसु नसेजा तं जहा-अ उ म् [ओं] उत्तमंगे क् उ[] याम-खंध-गीवाए उ [6] वाम कुच्छीए क उ [कुवाम चलणयले ल् ए ले] दाहिण चलणयले स्व् अ आ [स्वा] दाहिण कुच्छीए ह अ अ-हा) दाहिण-खंध-गीवाए।१७/ (१३९७) दुसुमिण-दुन्निमित्ते गह-पीडुवसाग-मारि-रिट्ठ-भए
बासासणिविजूए वायारी पहाजन-विरोहे (१३९4) जंघथि मयं लोगे तं सव्यं निद्दले इभाए विजाए
सण्हढे मंगलयरे रिद्धियरे पावहरे सयलवरक्खयसोक्खदाई
काउमिमे पच्छित्ते जइ न तुणं तस्मवेसिज्झे (१३९९) ता लहिऊण विमाणगई सुकुलुम्पत्तिं दुयंच पुणो बोहिं सोक्ख परंपरएणं सिझे कम्पटुंबंधरयमलविमुक्के ॥२५॥
गोयमो ति देमि (१४००) से मययं किमोयाणुमेत्तमेव पच्छित्तं-विहाणं जेणेवमाइसे गोयमा एय सामण्णेणं
॥२३॥
॥२४॥
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