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अग्नयणं-६ (११२३) साहिज्जइजो सवै किंचि न वुण मञ्चंत-कडयडं
अहवाचिदंत तावेए अहयं सयमेव वागरं (११२४) सुहं सुहेण धम्मं सब्बो वि अनुट्ठएजणो
न कालं कड़यडस्सऽजं धम्मस्सितिजा विचिंतइ (११२५) घडहडेंतोऽसणी ताव निवडिओ तस्सोयरि
गोयम निहणं गओ ताहे उववण्णो सत्तमाए सो (११२६) सासण-सुय-नाण-संसग्ग-पडिणीयत्ताए ईसरो
तत्य तं दारुणं दुक्खं नरए अनुभविठं चिरं (११२७) इहागओ समुद्दग्मि महामच्छो भवेउणं
पुणो विसत्तमाए य तेत्तीसं सागरोवमे (११२८) दुब्बिसहं दारुणं दुक्खं अनुहविऊणेहागओ
तिरिय-पक्खीसु उववण्णो कागत्ताएसईसरो (११२९) तओ वि पढमियं गंतुं उव्वट्टिता इहागओ
दुहु-साणो भवेत्ताणं पुनरवि पढमियं गओ (११३०) उव्वट्टित्ता तओ इसई खरो होउं पुणो मओ
उववण्णो रासहत्ताए छव्यव-गहणे निरंतरं (११३१) ताहे मणुस्स-जाईए समुप्पन्नो पुणो तओ
उववण्णो वणयरत्ताए माणुसत्तं समागओ (११५२) तओ मरिउं समुप्पनो मजारतए सईसरो
पुणो वि नरयं गंतुं इह सीहत्तेणं पुणो मओ (११३३) उववजिउंचउत्यीए सीहत्तेण पुणो विह
मरिऊणं चउत्पीए गंतुंइह समायाओ (११३४) तओ वि नरयं गंतुं चक्कियतेणईसरो
तओ वि कुट्ठी होऊणं बहु-दुक्खऽदिओ मओ (११३५) किमिएहि खञ्जमाणस्स पन्नासं संघच्छरे
जाऽकाम-निजरा जाय तीए देवेसुवञ्जिओ (११५६) तओ इहई नरीसत्तं लभृणं सत्तर्मि गओ
एवं नरय-तिरिच्छेसंकुच्छिय-मणुएसईसरो (११३७) गोयम सुईरं परिन्ममिउं घोर-दुक्ख-सुदुक्खिओ
___ संपइ गोसालओजाओ एस स वेवीसरजिओ (११३८) तम्हा एयं वियाणित्ता अधिरा गीयत्ये मुनी
मवेजा विदिय परमत्ये सारासारे पारण्णुए (११३९) सारासारमयाणित्ता अगीयस्थत्त-दोसओ
वय मेत्तेणा वि रज्जाए पायगं जं समझियं (११४०) तेणं तीए अहष्णाए जा जा होही नियंतणा
नारय-तिरिय कुमाणुस्से तं सोचा कोधिई समे
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