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पंचकप्यो - (९८६)
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(९८६) जहियं च साश्यपयं सीहादीणं न विशए देसे
जहियं च नत्थि चोरा देहुवहीपंयमोसादी (९८७) वाला उ सप्पगोणसमादी बोहिगमयं चनस्थि जहि
मणसो समाहिकारो सोरम्मो होति नायब्वो (९८८) सूरोअणण्णगम्मो जत्यो नरिंदो तर्हि सुहविहारं
साहुगुणे य बियाणति कुणतिय साहूण जो रक्वं (९८९) अहिरण्णसुवण्णेते छज्जीवणिकायसंजमे निरता
जदाणतिजणो य एवंजस्य तु साहूण गुणणिहंस (९९०) सज्झाओ जहिं सुन्झति कुदिद्वागिण्णो ण यावि जो होति
एसण इत्थी सोही यजत्य तहियं निवासेतु (९९१) जहितं च अणायतणान संति के पुण अणातणा भणिता
साहमि भिन्नचित्ता मूलुत्तरदोसपडिसेवी (९९२) एतेहिं जो देसो आइन्नो तह य अत्रतित्थीहि
मच्छंधवाहगामा पुलिंददेसा अणायतणा (९९३) एतारिसम्पिखेत्ते अप्पडिबद्धेण चिहरियव्वंतु
आलंबणाई केइ तइमाणि काउंन विहरंति वसही संयारो मत्त पाण वत्ये पडिग्गहे सेहा
सड्ढा य पुव्वतंयुय असदहते यपडिबंधो (९९५) फासुया एसणिज्ज्ञाय निवाया य रितुखमा
एरिसा साहुपाउग्गा वसही दुलभऽण्णहिं (९९६) एमेवय संथारा कंबलदब्मादिवत्युनिष्फत्रा
सयणासणाय जहियं सुलभा जोग्गा यसाहूणं (९९७) भत्तं सुलभ मणुण्णंच एरिसं नत्यि अण्णहिं तत्य
जंगियभंगियमादी नहु सुलभा अत्रहिं वत्या (९९८) पडिगहगाऽविय सुलभा सेहा यऽनत्य नत्यि खेत्तम्मि
अन्नत्य दुल्लभा तू तेण तु एत्यं बहुगुणं तु (९९९) सड्ढा आहारादी दिति य जोग्गाणि संयुता चैव
पुरपछ दिष्ठभट्ठाय अण्णहिँ नस्थि एरिसगा (१०००) उडुबद्धमासकप्पेण विहारो तंन सद्दहइमेहि
संजमआतविराहण वचंते गामअनुगामं (१००१) नाणादीण यहाणी जोग्गं खेत्तंतु मागमाणाणं
खेत्ताओऽविय खेत्तं संकमणे धुवमसज्झाओ (१००२) जेनीयत्ते दोसा मासंतो परिबसेण तेचेव
एवं मासविहारे मण्णंतो बहुविहे दोसे (१००३) नो सदहति विहारं तेण तुन विहरेति तस्स आणादी
मासोवरिच लहुओनीयावासे यजे दोसा
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