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गाहा ७१७
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( ७१७ ) उवठाषियस्स एवं संभुजणता तहेव संवासो बितियपदं संबंधी ओमादिसु मा हु बहिभावं ( ७१८) मुंजीसु मए सद्धिं इयाणि नेच्छंति मा तु बहिभावं अहखायंति व ओमे पच्छन्ने जेण भुंजंति
(७१९) एमादिणा तु भावं ताहे अप्पत्तं अहवऽपत्तं वा उवठायेतुं भुंजति अपरिणते चित्तरक्खट्ठा
( ७२० ) उवठाविय संभुत्ते संवासी एत्य होति कायच्चो बितियपऍ संवसेना अनुवट्ठवियंपिमेहिं तु
( ७२१) अन्नत्य नत्थि ठाओ अहवा होजाहि सोऽवि एगागी न य कप्पति एगस्सा संवासी तेण संवासी
(७२२ ) सचित्तदवियकप्पो एमेसो बत्रिओ महत्थो तु अचित्तदवियकप्पं एत्तो बोच्छं समासेणं (७२३) आहारे उवहिष्मि य उवस्सए तह य परसवणए य सेज निसेजद्वाणे दंडे चम्मे चिलिमिणीय
(७२४) अवलेहणिया दंताण धोवणे कण्हसोहणे चैव पिप्पलग सूति नक्खाण छेदणे घेव सोलसमे (७२५) आहारो खलु दुविहो लोइय लोउतरो य नायव्वो तिविहो य लोइओ खलु तत्य इमो होइ नायव्वो (७२६) मायणे भोयणे चेव भुंजियव्वे तदेव य माणे तु इमं थेरा गाहासुत्तमुदाहरे
( ७२७) सुवण्णरजते भोजं मणिसेले विलेवणं धतमायास पर्यंतंबे पाणसुहं च मिम्मते ( ७२८) सूवोदणं जवण्णं तिनि य मंसाणि गोरसो जूसी भक्खा गुललावणिया मूल फलं हरियगं डागो
( ७२९) होइ रसाली य तहा पाणं पाणीय पाणगं चैव सागं चद्वारसहा निरुवहतो लोगपिंडो सो (७३०) सूवगहणेण गहिता वंजणभेदा उ जत्तिया लोए ओदणगहणं पुण सत्तविहो ओदणी होति
(७३१) जातु जवण्णं मण्णति तित्रि तु मंसाणि जलयरादीणं गोरसो खीरादी उ मुग्गपडोलादि जूसो तु (७१२) भक्खविहि उल्लसुक्खा गुलकत तह लावणी त बोद्धव्या मूलग अल्लगमादी मूलं अंबादिग फलं तु
(७३३) हरितग मूलकुढेरग भूयणगादी य होति नायव्वो डागोय गोरसकओ पजेवणादी बहुविहाणो
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