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पंचप्पो - (१९५५)
||१९५३॥
॥१९५४॥
॥१९५५॥
||१९५६॥
॥१९५७॥
॥१९५८॥
१९५९॥
१९६०॥
||१९६१॥
(१९५५) दोआपरिया पारग कत्थ उ उपसंपदा तर्हि कुजा
जो निउणतरं भासति अह निउणं दोवि मासंति (१९५४) सापायारी पडिलेहणादिजो तत्थ आयरायेति
दोसुवि समुञ्जतेसूजो तहियं धम्मकहिओ उ (१९५५) तावियह सिक्खियव्वा सज्झायस्सेवजेण तं अंगं
दोसुविधम्मकहीसुजो तहियं गाहगो होइ (१९५६) गाहणसत्तिजुतेसुं दोसुअवी कत्थ होति उवसंपा
अतरंतअसहुवग्गं विसेसओ जो उ पालेति (१९५७) एतेसु विसिद्भुतरोअन्नाहिंतोऽविरिहाइ उपसंपे
इतरोहोइ अजोग्गोजइविय सो होइ गीयत्यो (१९५८) जो उअसंविगंपुण पनवणाकोविदोत्तिकाऊणं
उवसंपन्नइ बालो तस्स इमे होति दोसाउ (१९५१) सीहमुहं वग्धमुहं उयहिं व पलित्तगंवजो पविसे
असिवं अवमोयरियं धुवं सि अप्पापरिचत्तो (१९६०) तह चरणकरणहीणे पासत्ये जो उ पदिसते भिक्खु
जयमाणे उपजहिउंसो ठाणे परिचयति तिण्णि (१९५१) एमेव अहाछंदे कुसील ओसत्रमेव संसत्ते
जं तिन्नि परिचयंती नाणं तह दंसण चरितं (१९६२) कं पुण उवसंपझे तत्य इमे गच्छ होति पत्तारि
एगो देइ लएइय वितियो देई न गेण्हइउ (१९६३) ततिओन देति गिण्हइ न य देइन गेण्हती चउत्यो उ
पढमे उवसंपाइ सेसा उतओनऽणुण्णाया (१९६४) बितिएनिअरलाभन लमति गेलनमादिकज्जेसु
ततिए गिलाणकारण अवसट्टे मरणदोसा (१९६५) दोण्णिऽविचउत्ये दोसा होइ अवत्यूष तेण सो तम्हा
पढमम्मि जे गुणा खलु हवंति तेमे निसामेह (१९५६) भत्तोवहिसयणासण दानगहणे लोप एक्कमेक्कस्स
हवगिलाणे कयकारितेय अणइक्कमोजत्य (१९५७) जो पुणते दूसंतो करेइ उपसंपदं असुद्धेसु
तिघणगामिलासी हवइतु वोसट्टतिहाणो (१९६८) किं नठिओ सितहिं चिय पुट्ठो चपेइ तस्सिमे दोसा
अप्पियसझायादीनत्यिय ते याविजतितस्स (१९५९) जदोसं आभासति तं दोसं अप्पणा समावळे
जोवि पडिच्छइ तंतू सोऽविय तं चेव आवळे (१९७०) गच्छस्स जोवसंपे असुद्धमावझती तगंसोउं
जो पुण पडिच्छमाणो अविणीयादीहिं दोसेहिं
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॥१९६३॥
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॥१९६८॥
१९१९॥
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