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(१५९५) तिप्पभिति हिंडती निक्कारण मत्तएसु या गिण्हे सो होइ विकप्पो ऊ तत्थ य सोही इमा होइ (१५९५ ) जदि भायणमावहती तति मासा जदि दिणा उ आणेती तावइया चउमासा बितियाए रोवणा भणिया (१५९७) समगीण तिन्ह कप्पो चउपंचण भणिओ पकपी उ तेण परेण विकप्पो एत्तो उवहिं तु वोच्छामि (१५९८) तिनि उ मणिया कप्पो अतरंता विपइणा पकष्पविही उपायगवजाणं तिढाणा रोवणा भणिया
(१५९९) गणनाय पमाणेण य उवहिपमाणं दुहा मुणेयब्वं गणनाएँ जिणाणं तू एक्को दो तिष्णि या कप्पा (१६००) दो रयणी संडासो सोत्यीओ वावि होति आयामो रुंदा दिवड्ढहत्यं एय पमाणप्यमाणं तू (१६०१) दो खोमिओन्निएको थेराणं तिण्णि होति गणणाए आयामायपमाणा दुहत्य अनं च विच्छिना (१६०२) एसो उ भवे कप्पो पकच्यो उ गिलाणए गुरुणं बा च सत्तवावि पाउण माणऽतिरितं च धारेजा (१५०३) कारणे पकप्पो होती विकप्पो निक्कारणे मुणेयव्वो उप्पायगो पवित्ती सावतिरेगं धरे जाहि
(१६०४) गणणाए पमाणेण व गच्छट्ठाए उ तं पमोत्तूणं जो अण्णो अतिरेगं घरेइ सोही उ तस्स इमा (१६०५) चाउम्मासुक्कोसो मासिय मज्झे य पंच य जहणणे तिविहम्मिदि उवहिम्मि अतिरेगारोवणा भणिया (१६०५) अतिरेगउदिदारं संखेवेणोदितं अह इयार्णि परिकम्मदार वोच्छं अम्परिकम्मो जिणाणुवधी (१६०७) कारणविही पकप्पी घेराणं अविहीए विकप्पो उ परिकष्मणा उ एसा मंडुप्पायं अतो वोच्छं
(१६०८) गाहग गहणं गेज्झं व जहासंखेनिये तु नायव्या पुरिसे पडिमा उवही तिथि तिगा भावसुखाई (१६०९) गाहगोगीयत्यो खलु पुरिसो नियमेण होइ नायव्वो उद्दिमादियाहिं गहणं पडिमाहिं भणितं तु (१९१०) घेत्तव्वो उयही खलु तिण्णित्ताऽऽहारउयहिसिञ्जत्ति तिन्निषि तिविसुद्धा उग्गममादीहिं नियमेणं
(१६११) एगेण चैव गहणं कप्पो दोहिं भवे पकप्पोउ तिप्पमितिं तु विकप्पो मत्ते पाणे तहा उवही
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पंचकप (१५१५)
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