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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदेसार {rx) खित्तचित्तं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स निहित्तए अगिलाए तस्स करणिशं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विष्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामंयवहारे पट्टवियव्ये सिया।९।२ (४५) दित्तचित्तं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स निहित्तए अगिलाए तस्स करणिशं येयावडियं जाय तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नाम ववहारे पट्टवियत्वे सिया1१०1-10 (४६) जक्खाइई मिक्खं गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स निजहित्तए अगिलाए तस्स करणिजं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुकूको तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामंधवहारे पट्टवियचे सिया ।१91-11 (४७) उम्मायपत्तं भिक्खुं गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स निहित्तए अगिलाए तस्स करणिशं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामं ववहारे पट्टवियचे सिया १२२-12 (४८) उवसागपत्तं भिक्खुं गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स निहित्तए अगिलाए तस्स करणिचं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विष्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया।१३|-13 (४२) साहिगरणं भिक्खू गिलायमाणं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स निहित्तए अगिलाए तस्स करणिजं चेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नाम ववहारे पट्ठवियव्वे सिया ११४१-14 (५०) सपायच्छित्तं भिक्खू गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणायवच्छेइयस्स निजहित्तए अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगार्यकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामं ववहारे पट्टवियव्ये सिया।१५।-15 (५१) भत्तपाणपडियाइक्खितं पिक्टुं गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स निहित्तए अगिलाए तस्स करणिशं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विष्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामंववहारे पट्ठवियदे सिया।१६।-18 (५२) अडजायं भिक्खुं गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स निहित्तए अगिलाए तस्स करणिजं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नाम ववहारे पट्टवियव्वे सिया।१७-17 (५३)अणवठ्ठप्पंभिक्खुंअगिहिभूयं नोकप्पइतस्स गणावच्छेइयस्स उववावेत्तए।१८1-18 (५४) अणवठ्ठप्पं भिक्खुंगिहिभूयं कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तए।१९-19 (५५) पारंचियं भिक्खं अगिहिभूयं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उववावेत्तए १२०1-20 (५६) पारंचियं भिक्खं गिहिभूयं कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तए।२१:21 (५७) अणवठ्ठप्पं भिक्खुं अगिहिभूयं या गिरिमूयं वा कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तएजहा तस्स गणस्स पत्तियं सिया।२२1-22 (५८) पारंचियं भिक्टुं अगिहिभूयं वा गिहिपूयं या कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तएजहा तस्स गणस्स पत्तियं सिया।२३1-23 (५९) दो साहमिया एगओ विहरंति एगे तत्थ अण्णयरं अकिचट्ठाणं पडिसेवित्ता 3627 For Private And Personal Use Only
SR No.009764
Book TitleAgam 36 Vavahara Chheysutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages38
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 36, & agam_vyavahara
File Size1 MB
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