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पत्रा-६१०
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(६१०) इट्ठजणविष्पओगो चवणमयं चैव देवलोगाओ। एयारिसाणि सग्गे देवा वि दुहाणि पाविति (६११) ईसा विसाय-मय- कोड-लोह-दोसेहिंएवमाईहिं । देवावि समभिमूया तेसु विय कओ सुहं अस्थि (६१२) एरिसयदोसपुन्ने खुत्तो संसारसायरे जीवो । जं अइचिरं किलिस्सइ तं आसवहेउअं सव्वं ( ६१५) राग-द्दोसपसत्तो इंदियवसओ करेइ कम्माई । आसवदारेहिं अवंगुएहिं तिविहेण करणेणं (६१४) चिट्ठी मोहो जेणिह हियकामो खलु स पावमायरइ । नहु पावं हवइ हियं विसं जहा जीवियत्थिस्स (६१५) रागस्स य दोसस्स य घिरत्यु जं नाम सद्दहंतो वि । पावेसु कुणइ भावं आउरविञ्जु व्व अहिएसुं (६१६) लोमेण अणप्पज्झो कचं न गणेइ आयअहियं पि । अइलोहेण विणस्सइ मच्छु व जहा गलं गिलिओ (९१७) धम्मं अत्यं कामं तिण्णि वि कुद्धो जणो परिचयइ । ताई करेइ जेहि उ किलिस्सइ इहं परभवे य (६१८) हुंति अजुत्तस्स विणासगाणि पंचिंदियाणि पुरिसस्स । उरगा इव उपगविसा गहिया मंतोसहीहि विणा ( ६१९ ) आसवदारेहिं सया हिंसाईएर्हि कम्मासवइ । जह नावाइ विणासो छिद्देहि जलं उपहिमज्झे ( ६२० ) कम्पासवदाराई निरुंमियव्याई इंदियाई च । तव्वा य कसाया तिविहं तिविहेण मोक्खत्थं (६२१) निग्गहियकसाएहिं आसया मूलओ हया होति । अहियाहारे मुक्के रोगा इव आउरजणस्स (६२२) नाणेण य झाणेण य तयोबलेण य बला निरंमंति। इंदियविसय कसाया धरिया तुरगा व रज्जूहिं (६२३) हुंति गुणकारगाई सुयरज्जूहिं धणियं नियमियाई । नियगाणि इंदियाई जइणो तुरगा इव सुदंता (६२४ ) मण-ययण- कायजोगा जे मणिया करणसण्णिया तिण्णि । ते जुत्तस्स गुणकरा होति अजुत्तस्स दोसकरा (१२५) जो सम्मं भूयाई पासइ भूए य अप्पभूए य । कम्पलेण न लिप्पइ सो संवरियाऽ ऽ सवदुवारो (६२६ ) धन्ना सत्तहियाई मुणेति धन्ना करेति मुणियाई । धन्ना सुग्गइमग्गं मरंति घन्ना गया सिद्धि (६२७) धन्ना कलत्तनियलेहिं विप्यमुक्का सुसत्तसंजुत्ता । बारीओ व गयवरा धरवारीओ विनिष्फिडिया
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