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माणसपाहि - (५५) (५५) जह बीइंति उजीया विविहाण विहीसियाण एगागी।
तह संसारगएहिं जीयेहिं विहेसिया अत्रे (५५७) साययभयाभिमूओ बहूसुअडवीसुनिरभिरामासु।
सुरहि-हरिण-महिस-सूयरकझोडियरुपयछायासु ||५५६॥ (५५८) गय-गवय-खग्ग-गंडय-वग्य-तरच्छ-इच्छमालवरियासु । मल्लुकि-कंक-दीविय-संवरसमावकिण्णासुं
||५५७॥ (५५९) मत्तगइंदनिवाडियमिल्ल-पुलिंदावकुंडियवणासुं।
वसिओ हंतिरियत्ते भीसणसंसारचारिम्भि (५६०) कत्यइ मुखमिगत्ते बहुसो अडवीसु पयइयिसमासु।।
वग्धमुहावडिएणं रसियं अइभीयहिपएणं (५६१) कत्यइ अइदुप्पिक्खो भीसण-बिगराल-घोरवयणोई।
आसि अहं चिय वाघो सल-महिस-वराहविद्दवओ ॥५६॥ (१६२) कत्यइ दुन्विहिएहि रक्खस-वेयाल-भूपरूवहिं।
छलिओबहिओय अहं मणुस्सजम्मम्मिनिसारो (५५५) पयइकुडिलम्मि कत्यइसंसारे पाविऊण भूयत्तं।
बहुसो उब्दियमाणामए विबीहाविया सत्ता (५५) विरसं आरसमाणो कत्थाइ रण्णेसु घाइओआइयं ।
सावयगहणम्मिवणे भयभीसखुमियचित्तोहं (५५५) पत्तं विचित्त-विरसं दुक्खं संसारसागरगतेणं।
रसियं च असरणेणकयंतदंतंतरगतेणं (५४६) तइया कीस न हायइजीयो मइया सुसाणपरिविद्धं । मलंकि-कंक-वायससएस दोकिए देहं
||४६५॥ (५५७) तातं निअिणिऊणंदेहं मोत्तणवोजीयो।
सोजीको अविणासी भणिओ तेलुक्कदंसीहिं (१५८) तंजइ तावन मुबइजीयो मरणस्स उब्बियंतो वि।
तम्हा मज्झ नजुआइ पाऊण भयस्स अप्पाणं (१५९) एवमनुचिंतयंतासुविहिय जर-मरणमावियमईया। पावंति कयपयत्ता मरणसमाहिमहामागा।
||५६८॥ (५७०) एवं मावियचित्तो संधारवरम्मि सुविहिय सया वि।
मावेहि मावणाओबारस जिनवयणदिवाओ (५७१) अह इत्तो चउरंगे चउत्यमगंसुसाहुधम्मामि। वत्रेइ भावणाओ बारसिमा वारसंगविऊ
।।५७०॥ (५७२) समणेण सायएणयजओ निलंपिभावणिक्षाओ।
ददसंवेगकरीओविसेसओउतिमम्मि (५७३) पढमं अनिघावं असरणयं एगपंधउन्नतं ।
संसार मसुमयायियवियिह लोगस्सहाच
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