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परपसम्पाहि - (१२००
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(५२०) सम्म सहिऊण तओ कालगओ सत्तमम्पिकपषि।
सिरितिलयम्मि विमाणे उक्कोसठिई सुरोजाओ (५२१) सुयदिट्ठिवायकहियं एवं अक्खाणयं निसामेत्ता।
पंडियमरणम्मि पईददं निवेसेज भावेणं (५२२) जिनवयणमणुस्सवा दो विभुयंगा महाविसा धोरा ।
कासी य कोसियासयतणूसुभत्तं मुइंगाणं (५२३) एगो बिमाणवासीजाओवरविज्जु पंजरसरीरो
बीओ उ नंदनकुले बलोत्तिजखो महिडिओ (५२४) हिमचूलसुरुप्पत्ती मद्दगमहिसो य यूलमद्दोय।
बेरोवसमे कहणा सुरमावे दंसणे खमणा (१२५) बावीसमानुपुदि तिरिक्ख-मणुया विमेसणहाए ।
विसयाणकंपरख करेज देवा उ उवसणं (५२६) संघयण-धिईजुतो नव-दसपुदी सुएण अंगा था।
इंगिणि-पाओवगम पडिवाइएरिसोसाहू (१२५) निचलनिप्पडिकम्मो निक्खवएजंजहि जहा अंग।
एयं पाओवगमं सनिहारि धा अनीहारि (५२८) पाओवगमं भणियं सम-विसमे पायवो वजह पडिओ।
नवरंपरप्पओगा कंपेज जहा फल-तरुव (५२९) तस-पाण-वीयरहिए वित्यिण्णवियाए-पंडिलविसुद्धे ।
एगंते निहोसे उति अब्युजयं मरणं (५३०) पुव्वभवियवरेणं देवो साहरइको विपायाले।
मा सो चरिमसरीरोन वेयणं किंविपाविज्ञा (५३१) उप्पन्ने उवाप्सग्गे दिव्येमाणुस्सए तिरिक्खे य।
सवे पराजिणित्ता पाओवगया पविहांति (५५२) जह नाम असी कोसो अत्रो कोसो असी विखलु अत्रो।
इय मे अत्रो जीयो अत्रो देहो तिमा (५३३) पुबाऽवर-दाहिण-उत्तरेण वाएहिं आवडतेहिं ।
जह न वि कंपइ मेरू तइमाणाओ न वि चतंति (५५) पदमम्मि य संघयणे बहते सेलकुसामाणे ।
तेसि पिय योच्छेओ चोइसपुब्बीण वोच्छेए (५३) पुदवि-दग-अगणि-मारुय-तरुमाइतसेस कोइसाइरह।
योसह-चत्तदेहो अहाउयंतं परिक्खिना (५३५) देदो नेहेण नए देवागमणं व इंदगमणंया।
जहियं इवा कंता सव्वसुहा होति सुरुभावा (५५७) उवसग्गे तिविहे विय अनुकूले चेव तह य पडिकूले।
सम्म अहियासेंतो कम्मकक्खयकारओ होइ
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