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मरणतमाहि - (१९०)
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(१०) परिणामजोगसुद्धा उवहिविवेगंच गणविप्तग्गे य।
सेज्जाइउवस्सयवजणंच विगईविवेगंच (११) उगम-उप्पायण-एसणाविसुद्धिं च परिहरणसुडिं।
सन्निहिसनिचयम्मिय तव-वेयावसकरणेय (१६२) एवं कोतु सोहिं नवसारयसलिल-नहतलसमावा।
कम-काल-दव्य-पशव-अत्तं-परजोगकरणे य (१६३) तोते कयसोहीया पच्छिते फासिए जहाधाम।
पुप्फावकिन्नगम्मियतवमिजुत्ता महासत्ता (१६) तो इंदियपरिकम्मं करेंति विसयसुहनिग्गहसमत्या।
जयणाए अप्पमत्ता राग-दोसे पयणयंता (१६५) पुवकारियजोगा समाहिकामावि मरणकालम्मि।
न भवंति परीसहसहा विसयसुहपमोइयऽप्पाणो (११६) इंदियसुहसाउलओ घोरपरीसहपराइयपरज्झो।
अकयपरिकम्म कीवो मुजाइ आराहणाकाले (११७) बाहति इंदियाईपुब्बि दुत्रियमियप्पयाराई।
अकयपरिकमकीवं मरणे सुयसंपउत्तं पि (१६८) आगममयप्पभावियसुहलोलुयापइहस्स ।
जई विमरणे समाही होऊ नसा होइ बहुयाणं (१५९) असमतसुओ वि मुणीपुयि सुकयपरिकम्मपरिहत्यो।
संजम-नियमपत्रं सुहमवहिओ समाणेइ (१७०) नचयंतिकिंचि काउं पुबि सुकयपरिकम्मजोगस्स।
खोहं परीसहचमूधिईबलपराइया मरणे (१७१) तोते वि पुखधरणाजयणाए जोगसंगहविहीहिं।
तो ते करेंति सण-चरित-सुइभावणाहेउं (१७२) जापुब्वभाविया किर होइ सुई चरण-दंसणे बहुहा।
सा होइ बीयभूया कयपरिकम्मस्स मरणम्मि (१७३) तं फासेहि चरितंतुमंपि सुहसीलयं पमोत्तूणं।
सव्वं परीसहचमुंअहियासेतो घिइबलेणं (१०४) सद्दे सवे गंधे रसे य फासे य सुविहिय जिणेहि।
सव्येसु कसाएसुप निग्गहपरमो सया होहि (१७५) सवेरसे पणीए नियूठेऊण पंत-तुक्खेहि।
अनयरेणुवहाणेण संलिहे अप्पगं कमसो (१७६) संलहणाय विहाअभितरियाय बाहिरा चेव
अभितरिय कसाए बाहिरिया होइ पसरीरे (१७७) उग्गम-उप्पायण-एसणाविसुद्धेण अन्न-पानेणं।
मिय-विरस-लुक्ख-लूहेण दुब्बलं कुणसु अप्पाणं
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11१७०।।
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