________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
६
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(६६) एसा भवणवईणं भवणठिई वन्निया समासेणं । सुण वाणमंतराणं भवणठिई आनुपुवीए
(६७) पिसाय धूया जक्खा य रक्खसा किन्नरा य किंपुरिसा । महोरगा य गंधव्या अट्ठविहा वाणमंतरिया (६८) एते उ समासेणं कहिया मे वाणमंतरा देवा । पतेयं पिय वोच्छं सोलस इंदे महिड्ढीए
(६९) काले य महाकाले सुरुद पडिरूव पुत्र भद्दे य | अमरवइ माणिभद्दे भीमे य तहा महामीमे ( ७० ) किन्नर किंपुरिसे खलु सप्पुरिसे चैव तह महापुरिसे । अइकाय महाकाए गीयरई चैव गीयजसे (७१) सत्रिहए सामाणे घाय विधाए इसी य इसिवाले । इस्सर महिस्सरे या हवइ सुवच्छे विसाले य
(७२) हासे हासरई वि य सेए य तहा भवे महासेए । पयए पययवई वि यनेयच्चा आनुपुवीए (७३) उड्ढमहे तिरियम्मि य बसहिं उववेति वंतरा देवा । भवणा पुण्हरयणम्पभाए उवरिल्लए कंडे (७४) एक्केक्कम्मिय जुयले नियमा भवणा वरा असंखेजा। संखिजवत्या पुण नवरं एतऽस्य नाणतं
(७५) जंबुद्दीवसमा खलु उक्कोसेणं भवंति भवणबरा । खुड्डा खेत्तसमा वि य विदेहसमया य मज्झिमया (७६) जहिं देवा दंतरिया वरतरूणीगीय थाइयरवेणं । निच्चसुहिया पमुइया गयं पि कालं न याणंति
(७७) काले सुरूव पुत्रे भीमे तह किन्नरे य सप्पुरिसे । अइकाए गीयरई अट्ठेते होंति दाहिणओ (७८) मणि-कणग-रयणधूभिय जंबूणयवेइयाई भवणाई । एएसिं दाहिणओ सेसाणं उत्तरे पासे
(७९) दसवाससहस्साई टिई जहत्रा उ वंतरसुराणं । पतिओवमं तु एक्कं ठिई उ उक्कोसिया तेर्सि (८०) एसा वंतरियाणं भवणठिई बन्निया समासेणं । सुन जोइसालयाणं आवासविहिं सुरवराणं
( ८१ ) चंदा सूरा तारागणा य नक्खत्त गहगणसमण्णा । पंचविहा जोइसिया ठिई वियारी य ते मणिया (८२) अद्धकविट्ठगसंठाणसंठिया फालियामया रम्मा । जो सियाण विमाणातिरियंलीए असंखेज्जा
For Private And Personal Use Only
देविंदत्यओ (६६)
॥६६॥
॥६७॥
।। ६८ ।।
८/६९ ॥
||90|1
॥७१॥
॥७२॥
॥१७३॥
॥७४॥
॥७५॥
१७६ ॥
॥७७॥
||92||
१७९ ॥
||2011
112911
॥८२॥