SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - अगापणं-१ चंदे जोइसिंदे जोइसराया अहुणोवयण्णे समाणे पंचविहाए पजत्तीए-आहारपज्जत्तीए जाय भासमणपजतीए पञ्जतमा गए चंदस्सणं भंते जोइसिदस्स जोइसरण्णो केवइयं कालं ठिई पत्रत्ता गोयमा पलिओवमं वाससहस्सममहिय एवं खलु गोयमा चंदस्स जोइसिंदस्स जोइसरण्णो सा दिव्या देविड्ढी चंदेणं भंते जोइसिंदे जोइसराया ताओदेवलीगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं चयं चइत्ता कर्हि गछिहिइ कहिं उववजिहिइ गोयमा महाविदेहे वासे सिन्झिहिइ एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं पुफियाणं पढमस्स अल्झयणस्सअयमढे पन्नतेत्ति बैमि।। [२३].1 बीअं अज्झयणं-सूरे (1) जइणंभंते सरणेणंभगवया महावीरेणंजाव संपत्तेणं उखेवओभाणियव्योएवं खलु जंबूतेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामंनयरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया समोसाणंजहाचंदो तहासूरोवि आगओ जाव नट्टविहि उवदंसित्ता पडिगओपुव्यभयपुच्छा सावत्थी नयरी सुपइ नाम गाहावई होत्या-अड्ढे जहेब अंगई जाव विहरइ पासो समोसढो जहा अंगई तहेव पव्वइए तहेव विराहियसामण्णे जाव महाविदेहे वासे सिन्झिहिइ जाव अंतं करेहिइएवं खलुजंबु समणेणं मगवया महावीरेणं दोबस्स अज्झयणस्सअयमढेपनत्ते ति बैमि।२-[२४-2 तइयं अज्झयणं-सुक्क (५) जइणं मंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाय संपत्तेणं उखेवओ पाणियब्दो रायगिहे नपरे गुणसिलए चेइए सेणिए राया सामी समोसढे परिसा निगया तेणं कालेणं तेणं समएणं सुक्के महग्गहे सुक्कवर्डिसए विमाणे सुक्कंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिंजहेव चंदो तहेव आगओ नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगओ मते ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं पुच्छा कूडागारसाला दिलुतो पुव्वभवपुच्छा एवं खलु गोयमा तेणं कालेणं तेणं सपएणं वाणारसी नामं नयरी होत्या तत्य णं वाणारसीए नयरीए सोमिले नाम माहणे परिवसइ अड्डे जाय अपरिमूए रिउव्वेय जाव बहूम मपणेसु य सत्थेसु सुपरिनिटिए पासे समोसढे परिसा पञ्जुवासइ तए णं तस्स सोमिलस्समाहणस इमीसे कहाए लगुस्स समाणस्स इमे एयारूवे अज्झस्थिए जाव एवं खलुपासे अरहा पुरिसादाणीए पुवाणुपुलिंब जाव अंबसालवणे विहरइ तंगच्छामिणं पासस्स अरहओअंतिए पाउब्मयामिइमाइंचणंएयारूवाई अट्ठाई हेऊइंजहा पन्नत्तिए जावसंबुद्धे सावगधम्मपडिवजित्ता पडिगए तए णं पासे अरहा अन्नया कयाइ वाणारसीओ नयरीओ अंबसालवणाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ, तए णं से सोमिले माहणे अण्णया कयाइ असाहुदंसणेण य अपञ्जुवासणयाए य मिच्छत्तपञ्जदेहिं परिवड्ढमाणेहिं सम्पत्तपञ्जवेहि परिहायमाणेहि मिच्छत्तं विप्पडिवण्णे तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुबजागरियं जागरमाणस्स जाय समुपजित्था एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणे अचंतमाहण-कुलप्पसूए तएणं मए धयाई चिण्णाईजाव जूवा निखिता तं सेयं खलु मम इयाणिं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उहियपि सूरे सहस्सरस्सिम्मिदिणयरे तेयसा जलंते वाणारसीएनयरीए बहिया बहवे अंबाराम प मालिंगारामे य बिल्लारामे य कविट्ठाराम प चिंचारामे प पुकाराम य रोवावित्तए-एवं संपेहिइ संपेहेत्ता कालं पाउप्पभायाए जाव पुप्फाराम य रोवायेइ तएणं बहवे अंबारामा य जाव पुष्फारामा प अणुपब्वेणं For Private And Personal Use Only
SR No.009747
Book TitleAgam 21 Puffiyanam Uvangsutt 10 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages22
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 21, & agam_pushpika
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy