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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अयणं-१ सेकाले कुमारे अण्णया कयाइ तिर्हि दंतिसहस्सेर्हि तिहिं आससहस्सेहिं तिहिं रहसहस्सेहिं तिर्हि मणुयकोडीहिं गरुलव्यूहे एक्कारसमेणं खंडेणं कूणिएवं सद्धिं रहमुसलं संगामं ओयाए । ६। (७) तए णं तीसे कालीए देवीए अण्णया कयाइ कुटुंबजागरिय जागरभाणीए अयमेयारूवे अज्झत्थिए [चिंतिए पत्विए मणोगए संकप्पे] समुप्पजित्था एवं खलु ममं पुत्ते काले कुमारे तिहिं पंतिसहस्सेहिं जाय ओयाए-से मण्णे किं जइस्सइ नो जइस्सइ जीविस्तर नो जीविस्सइ पराजि णिएसइ नो पराजिणिस्सइ कालं णं कुमारं अहं जीवमाणं पासिज्जा ओहयमण [संकप्पा करयलपल्हत्यमुही अट्टज्झाणोवगया ओमंधियवपणनयणकमला दीणविवण्णवयणा] झियाइ तेणं काणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए परिसा निग्गया तए णं तीसे कालीए देवीए इमीसे कहाए लद्धट्ठाए समाणीए अयमेयारूवे अज्झत्विए जाय समुप्पचित्था एवं खलु समणे भगवं महावीर पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामणुगामं दूइजमाणे इहमागते जाव विहरइ तं महाफलं खलु तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमंसणपडिपुच्छणपद्ध्रुवासणयाए एगस्स वि आरविस्स धम्मियस्स सुवणयस्स सवणयाए किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए तं गच्छामि णं समणं भगवं जाव पङ्खुवासामि इमं च णं एयारूवं वागरणं पुच्छिस्सामित्तिकट्टु एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कोडुंबियपुरिसे सहावेइ सद्दावेत्ता एवं व्यासी- खिप्पामेव भो देवाणुपिया धम्मियं जाणप्पचरं जुत्तमेव उवट्टवेह उवठ्ठवेत्ता जाव पच्चष्पिणंति तए णं सा काली देवी हाया [कपवलिकम्मा कयकोउय-मंगल- पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगलाई बत्थाई पवर परिहिया] अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा बहूहिं खुजहिं जाव महत्तरगवंदपरिक्खित्ता अंतेउराओ निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्टाणसाला जेणेव धम्मिए जगप्पवरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छता धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ दुरुहित्ता नियमगपरियालसंपरिवुडा चंपं नयरिं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ निगच्छित्ता जेणेव पुत्रमद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता छत्तादीए [ तित्थयरातिसए पासइ पासित्ता धम्मियं जाणप्पवरं ठवेइ ठवेत्ताधम्मियाओ जाणष्पवराओ पचोरुहड़ पचोरुहिता बहूहिं खुजाहिं जाव महत्तरगयंद परिक्खित्ता जेणेव समणे मगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो आयाहिण -पयाहिणं करेइ करेत्ता बंदइ नमंसइ वंदित्ता नर्मसिता ठिया चैव सपरिवारा सुस्सूसमाणी नम॑समाणी अभिमुहा विगएणं पंजलिउडा जुवास तए णं समणे भगवं महावीरे कालीए देवीए तीसे य महइमहालियाए इसिपरिसाए धम्मं परिकहेड जाव एयस्स धम्मस्स सिक्खाए उयट्टिए समणोवासए बा समणीवासिया वा विहरमाणे आणाए आराहए भवइ तए णं सा काली देवा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हट्ठतुट्ठ- जाव एवं वयासी एवं खलु पंते मम पुत्ते काले कुपारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रहमुसलं संगामं ओयाए-से णं भंते किं जइस्सइ नो जइस्सइ जाव कालं णं कुमारं अहं जीवमाणं पासेखा, कालीइ समणे भगवं महावीरे कालिं देविं एवं बयासी एवं खलु काली तव पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव कूणिएणं रण्णा सद्धिं रहमुसलं संगामं संगामेमाणे हयमहिय-पवरवीरधाइय-निवडियचिंधज्झयपडागे निरालोयाओ दिसाओ करेमाणे चेडगस्स रण्णो सपक्खं सपडिदिसिं रहेणं पडिरहं हव्यमागए तए णं से चेडए राया कालं कुमारं एजमाणं पासइ पासित्ता आसुरते जाब धणुं परामुसइ परामुसित्ता उसुं परापुसइ परामुसित्ता वइसाहं ठाणं ठाइ ठिच्चा आयाय- कण्णाययं उसुं करेइ करेत्ता कालं कुमारं एगाहचं कूडाहचं जीविया ओ बवरोवेइ 19 1क For Private And Personal Use Only
SR No.009745
Book TitleAgam 19 Nirayavaliyanam Uvangsutt 08 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages22
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 19, & agam_nirayavalika
File Size1 MB
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