________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
૧૦
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
बंदी पन्नत्ती - ७/२६२
जोयणसयसहस्सं सव्वग्गेणं पत्रत्ते जंबुद्दीवे णं भंते दीवे, गोयमा सिय सासए सिय असासए से केणणं भंते एवं पुचइ० गोयमा दव्वट्टयाए सासए वण्णपज्जवेहि गंध-रस-फास-पज्रवेहिं असासए
•
णणं गोयमा एवं बुवइ- सिय सासए सिय असासए जंबुद्दीदे णं भंते दीवे कालओ केवच्चिरं होइ गोयमा न कयावि नासि न कयावि नत्वि न कयावि न भविस्सइ भुविं च भवइ य भविस्सइ य धुवे निइए सासए अक्खए अव्यए अवट्ठिए निचे जंबुद्दीवे दीवे पन्नत्ते । १७८+ 175
( १६३) जंबुद्दीवे णं भंते दीवे किं पुढविपरिणामे आउपरिणामे जीवपरिणामे पोग्गलपरिणामे गोयमा पुढविपरिणामेवि आउपरिणामेवि जीवपरिणामेवि पोग्गलपरिणामेवि जंबुद्दीवे णं भंते दीये सव्वपाणा सव्वपूया सव्वजीवा सव्वसत्ता पुढविका इयत्ताए ओउकाइयत्ताए जाय वणस्सइकाइयत्ताए उववण्णपुव्वा हंता गोयमा असई अदुवा अनंतखुत्तो ।१७९1-176
(२६ ४ ) से केणद्वेणं भंते एवं युञ्चइ-जंबुद्दीवे दीवे जंबुद्दीवे दीवे गोयमा जंबुद्दीवे णं दीवे तत्यतत्य देसे तर्हि सहि बहवे जंबूरुक्खा जंबूवणा जंबूवणसंडा निचं कुसुमिया जाय पडिमंजरिवडेंसगधरा सिरीए अईव - अईव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा चिट्ठति जंबूए सुदंसणाए अणादिए नामं देवे महिड्दिए जाव पलिओवमट्ठिईए परिवसइ से तेणणं गोयमा एवं बुधइ-जंबुद्दीवे दीवे जंबुद्दीवे दीवे । १८०1-177
(३६५) तए णं समणे भगवं महावीरे मिहिलाए नयरीए माणिभद्दे चेइए बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं बहूणं देवाणं बहूणं देवीणं मज्झगए एवमाइक्खइ एवं मासइ एवं पन्नवेइ एवं परूवेइ जंबूद्दीवपन्नत्ती नामं अज्जो अज्झयणे अङ्कं य हेउं च पसिणं च कारणं च चागरणं च भुञ्जो - भुज्जो उवदंसेइ-त्ति बेमि 1929 1-178
सत्तमौ यक्खारी समतो
१८ जंबुद्दीवपन्नत्ती समत्ता सत्तमं उवंगं समत्तं
For Private And Personal Use Only