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सूरपन्नत्ती - ६/-1३८ पन्नत्ताओ तत्थेगे एवमाहंसु-ता मंदरेणं पवए सूरियं वरयति आहितेति घएग्जा-एगेपुण एवपाहंसुता मेरुणं पलए सूरियंवरयति आहितेति वएजा-एवं एएणं अभिलावेणं नेयव्वंजाव पव्ययराएणं पव्वए सूरियं वरयति आहहितेति वएजा-वयं पुणं एवं वदामो-ता मंदिरेवि पवुच्चइ तहेव जाव पव्वयराएवि पवुच्चइ ताजे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति तेणं पोग्गला सूरियंवरयंति अदिवावि णं पोग्गला सूरियं वरयंति चरमलेसंतरगताविणं पोग्गला सूरियं वरयंति।२८:28
सत्तसं पाहुई समत.
अहमं पाहुई (३९) ता कई ते उदयसंठिती आहितेति वएजा तत्थ खलु इमाओ तिण्णि पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ तत्थेगे एवमाहंसु-ता जया गंजंबुद्दीवे दीवेदाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तयाणं उत्तरड्ढेवि अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ ता जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढेवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ तयाणं उत्तरड्ढेवि सत्तरसमुहत्ते दिवसे भवइ ता जया णं उत्तरड्ढे सत्तरसमुहत्ते दिवसे भवइ तयाणं दाहिणड्डेवि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवइ एवं परिहावेत्तब्वं-सोलसमुहत्ते दिवसे पन्नरसमुहुत्ते दिवसे चउद्दसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुत्ते दिवसे जाव ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे वारसमुहुत्ते दिवसे मवइ तया णं उत्तरडेवि बारसमुहत्ते दिवसे भवइ ता जया णं उत्ताड्ढे बारसमूहत्ते दिवसे भवइ तयाणं दाहिणड्डेवि बारसमुहुत्ते दिवसे मवई ता जया गंदाहिणड्ढे वारसमुहत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदास्स पव्ययस्स पुरस्थिमपञ्चत्थिमे णं सदा पवरसमुहुत्ते दिवसे मवइ सदा पन्नरसमुहुत्ता राती भवति अवट्टिया णं तत्थ राइंदिया पन्नत्ता समणाउसो एगे एवमाहंसु एगे पुण एवमाहंसु ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहत्ताणंतरे दिवसे भयइतया णं उत्तरड्डेवि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे मवइ ता जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहत्ताणतरे दिवसे भवइ तयाणं दाहिणड्ढेवि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ एवं परिहावेतव्वं-सत्तरसमुहत्ताणंतरे दिवसे मवइ सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ पन्नरसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ चोद्दसमुहुत्ताणंतरे दिवसे मवइ तेरसमुहत्ताणंतरे दिवसे भय ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे बारसमुहत्ताणंतरे दिवसे मवइ तया णं उत्तरड्ढेवि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ ता जया णं उत्तरड्ढे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढेवि बारसमुहत्ताणतो दिवसे भवइ तयाणं जंबुद्दीवे दीवे मंदरास पव्वयस्स पुरस्थिमपञ्चस्थिमे णं नो सदा पन्नरसमुहत्ते दिवसे मवइ नो सदा पन्नरसमुहत्ता राती भवति अणवट्टिता णं तत्थ राइंदिया पन्नत्ता समणाउसो एगे पुण एवमाहंसु ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे मवइ तया णं उत्तरड्ढे दुवालसमुहुता राती भवति ता जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहते दिवसे भवइ तथा णं दाहिणड्ढे दुवालसमुहुत्ता राती भवती ता जया णं दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तयाणं उत्तरड्ढे दुवालसमुहत्ता राती भवति ता जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढे दुवालसमुहता राती पवति एवं नेतब्वंसगवेहिं य अनंतरेहियएक्केके दोदोआलावगासनेहिं दुवालसमुहत्ता राती भवतिजाव ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे दुवासमुहुत्ता राती भवतीता जया णं उत्तरड्ढे दुवासमुठुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणड्ढे दुयालसमुहुत्ता राती भवति तयाणंजंबुद्दीवेदीवे मंदरप्स पबयस्स पुरस्थिमपञ्चत्यिमेणंनेवस्थि पन्नरसमुहुत्ते दिवसे
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