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पडिवत्ति-३,
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दीव०
( २५७ ) रविससिगहनक्खत्ता एवइया आहिया मणुयलोए जेसि नामागोत्तं न पागाया पन्नदेहिंति
(२५८) छावट्ठि पिडगाई चंदाइच्चाणं मणुयलोगंमि दो चंदा दो सूरा होति एक्क्कए पिडए (२५९) छावट्ठि पिडगाई नक्खत्ताणं तु मणुयलोगंमि छप्पन्नं नक्खत्ता होति एक्केक्कए पिड (२६०) छावद्धिं पिडगाई महग्गहाणं तु मणुयलोगंमि
छावत्तरं गहरा होइ य एक्केक्कए पिडए (२६१) चत्तारि य पंतीओ चंदाइच्चाण मणुयलोमि
छावट्टी- छावट्ठी य होते य एक्केक्किया पंती (२६२) छप्पन्नं पंतीओ नक्खत्ताणं तु मणुयलोगंमि
छावट्टी- छावड्डी य होति य एक्के किया पंती (२६३) छावत्तरं गहाणं पंतिसयं होइ मणुयलोगंमि
छावट्टी- छावडीय होति एक्के किया पंती (२६४) ते मेरुमणुचरंता पयाहिणावत्तमंडला सव्वे अणवद्विहिं जोगेहिं चंदा सूरा गहगणा य ( २६५ ) नक्खत्ततारगाणं अवट्ठिया मंडला मुणेयच्चा तेवि य पयाहिंणावत्तमेव मेरुं अणुचरंति (२६६ ) स्यणियरदिणयराणं उड्ढे व अहे व संकमो नत्थि मंडलसंकमणं पुण सतरबाहिरं तिरिए (२६७) रयणियरदिणयराणं नक्खत्ताणं महागहाणं च चारविसेसेण भवे सुहदुक्खविही मणुस्साणं (२६८) तेसिं पविसंताणं तावक्खेत्तं तु बड्दए नियमा तेणेव कमेण पुणो परिहायइ निक्खमंताणं ( २६९) तेसिं कलंबुयापुप्फसंदिया होइ तावखेत्तपहा अंतोय संकुया वाहिं वित्थडा चंदसूराणं (२७०) केणं वड्ढति चंदो परिहाणी केण होइ चंदस्स कालो वा जोहो वा केणणुभावेणं चंदस्स (२७१) किन्हं राहुविमाणं निचं चंदेण होइ अविरहियं चउरंगुलमप्पत्तं हेट्टा चंदस्स तं चरइ
(२७२) बावट्ठि-बायट्ठि दिवसे दिवसे उ सुक्कपक्खस्स जं परिवड्ढइ चंदो खवेइ तं चैव कालेणं (२७३ ) पन्नरसइभागेण य चंदं पत्ररसमेव तं वरइ पन्नरसइभागेण य पुणोवि तं चेवतिक्कमइ (२७४) एवं बड़्ढइ चंदो परिहाणी एव होइ चंदस्स कालो वा जोहा वा तेणणुभावेण चंदस्स
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114411-4
॥५६॥-5
114511-6
।।५८11-7
।।५९॥१-४
॥६०॥ -9
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।।६२॥-11
।।६३॥ -12
।।६४ || -13
।।६५|| -14
॥६६॥-15
||६७।। 16
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१६९ ॥ -18
||'30|| -19
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