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सुतं-६७
अएणंय तउएणंचकायावेमि आयपच्चइएहिं परिसेहिं रक्खामि तए णं अहं अन्नया कयाइंजेणामेव सा अओकुंभी तेणामेव उवागच्छामि उवागछिता तं अओकुंभि उग्गलच्छावेमि उग्गलच्छावित्ता तं पुरिसंसयमेव पासापि नो चैव णं तीसे अओकुंभीए केइ छिड्डे इ वा चिवरे इ वा अंतरे इवा राई वाजओ णं से जीवे अंतोहितो यहिया निग्गए जइण पंते तीसे अओकंभीए होज के छिडे इवा [विवरे इ वा अंतरे इ वा राई वा जओ णं से जीवे अंतोहिंतो बहिया निग्गए तो णं अहं सद्दहेजा पत्तिएज्जा रोएजाजहा-अन्नो जीवो अन्नं सरीरं नो तज्जीवो तं सरीरं जम्हाणं भंते तीसे अओकुंभीए त्यिए केइ छिहे इ वा जाव निग्गए तम्हा सुपतिट्ठिया मे पइण्णा जहा-तजीवो तं सरीरं नो अपणो जीवो अण्णं सरी
तए णं केसी कुमार-समणे पएसि रायं एवं वयासी पएसी से जहानामए कूडागारसाला सिया-दुहओ लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा निवाया निवावगंभीरा अह णं केई पुरिसे भेरिं च दंडंच गहाय कूडागारसालाए अंतो-अंतो अनुप्पयिसति अनुप्पविसित्ता तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता घण-निचिर निरंतर-निच्छिड्डाइं दुवारवयणाई पिहेइ तीसे कूड़ागारसालाए बहुमज्झदेसभाए ठिच्चा तंभेरि दंडएणं महया-महया सदेणं तालेजा से नूणं पएसी से सद्देणं अंतोहितो बहिया निग्गच्छइ हता निग्गच्छइ अस्थि णं पएसी तीसे कूडागारसालाए केइ छिड्डे इवा [विवरे इवा अंतरे इ वा] राई वा जओ णं से सद्दे अंतोहितो दहिया निगए नो तिगढे समढे एवामेव पएसी जीवे वि अप्पडिहयगई पुढविं भिच्चा सिलंमिया पव्वयं भिया अंतोहितो बहिवा निगच्छइतंसदहाहिणं तुम पएसी अन्नोजीवो तं चैव तएणं पएसी राया केसि कुमार-समणं एवं वयासी
अस्थिणं मंते एस पग्णओ उवमा इमेणं पुण कारणेणं नो उवागच्छइ-एवं खलु भंते अहं अन्नया कयाइ बाहिरियाए उवट्ठाणसालाएजाव विहरापि तए णं मपं नगरगुत्तिया ससक्खं [सहोढं सलोइं सगेवेनं अवउडगवंधणबद्धं चोरं) उवणेति तए णं अहं तं पुरिसं जीवियाओ ववरोवेमि वववेत्ता अओकभीए पक्खिवावेमि अओमएणं पिहाणएणं पिहावेमि (अएण य तउएण य कापावेमि आय] पचइएहिं पुरिसेहिं रखावेमि तए णं अहं अन्नया कयाइ जेणेव सा कुंभी तेणेव उवागच्छामि उवागच्छित्ता तं अओकंभि उग्गलच्छामि तं अओकमि किमिक्रंभिंपिव पासामिनो चेवणंतीसे अओकभीए केइ छिड़े इ वा [विवरे इ वाअंतरे इ वा] राई वाजतोणं तेजीवा बहियाहिंतो अनुपविट्ठा जति णं तीसे अओकुंभीए होज्ज केइ छिडे इ वा जाव अनुपविठ्ठा तम्हा सुपतिहिआ मे पइण्णा जहा-तञ्जचो तंसरीरं नो [अन्नो जीवो अनं सरीरं]तएणं केसी कुमार-समणे पएसि रायं एवं वयासी-अस्थि तुमे पएसी कयाइ व अए धंतपब्बे बाधमाबियपब्वे या हंता अस्थि से नणं पएसी अह धंते इ वा विवो इवा अंतरे वा राई वा जेणं से जोई बहियाहिंतो अंतो अनुपविट्टे नो तिणढे समझे एवामेव पएसी जीवो वि अपडिहयगई पुढविं भिचा सिलं भिचा पब्वयं भिच्चा बहियाहिंतो अंतो अनुपविसइ तं सद्दहाहिणं तुम पएसी (जहा अन्नोजीवोअन्नं सरीरं नो तज्जीवो तं सरीरं ।६७।-67
(६८) तए णं पएसी राया केसिं कुमार-समणं एवं वयासी-अस्थि णं भंते (एस पनओ उवमा इमेणं पुणं कारणेणं] नो उवागच्छइ-भंते से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे [बलवं जुगवं जुयाणे अप्यायंके थिरग्गहत्थे दढपाणि-पाय-पिटुंतरोरुपरिणए धणनिचिय-व-बलियखंधे चम्मेट्ठगदुघण-मुट्ठिय-समाहय-निचियगत्ते उरस्सबलसमण्णागए तलजमलजुयलबाहु लंघण-पवण-जइण
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