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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुयक्ांघी - १, अजायणं- ३ सेणावइस्स पुत्ते खंदसिरीए भारियाए अत्तए अभग्गसेणे नामं दारए होत्या- अहीणपडिपुत्रपंचिंदियसरीरे तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पुरिमताले नवरे समोसढे परिसा निगया राधा निगओ धम्मो कहिओ परिसा राया य गओ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी गोयमे जाव रायमग्गंसि ओगाढे तत्थ णं बहवे हत्थी पासइ अ य तत्थ बहवे आसे पासइ अण्णे व तत्थ बहवे पुरिसे पासइ-सण्णद्ध-बद्धवम्मियकवए तेसिंच णं पुरिसाणं मझगवं एगं पुरिसं पासइ- अवओडप [ बंधणं उक्त्ति कण्णनासं नेहतुप्पियगतं वज्झकरकडि-जुयनियच्छं कंठेगुणरत- मल्लदामं चुण्णगुंडिय गातं चुण्णायं वज्झपाणपीयं तिलंतिलं चैव छिनमाणं कागणिमंसाई खावियंतं पावं खक्खरसएहिं हम्माणं अणेगनर-नारी- संपरिवुडं चच्चरे-चचरे खंडपडहएणं] उग्धोसिज्रमाणं इमं च णं एयारूवं उग्धोसणं सुणेइ-नां खलु देवाणुप्पिया अभग्गसेसणस्स चोरसेणावइस्स केइ राया वा रायपुत्तो था अवरज्झइ अप्पणो से सयाई कम्माई अवरज्झति तए तं पुरिसं रायपुरिसा पढमंसि चञ्चरसि निसियावेति निसियावेत्ता अट्ठ चुलप्पिए अमओ धाएंति धाएत्ता कसप्पहारेहिं तासेमाणा-तासेमाणा कलुणं काकणिमसाई खावेति रुहिरपाणं च पाएंति तयाणंतरं च णं दोघंसि चच्चरंसि अटु चुल्लमाउयाओ अगओ धाएंति एवं तच्चे चारे अट्ठ महापिउए चउत्थे अट्ठ महामाया ओ पंचमे पुत्ते छट्टे सुण्हाओ सत्तमे जामाउया अट्टमे धूयाओ नवमे नत्यादसमे नत्तुईओ एक्कारसमे नत्तुचावई वारसमे नत्तुइणीओ तेरसमे पिउस्सियपइया चोइसमे पिउस्सियाओ पन्नरसमे माउस्सियापइया सोलसमे माउस्सियाओ सत्तरसमे मामियाओ अहारसमे अवसेसं मित्त-नाइ - नियग-सयणसंबंधि-परियणं अग्गओ धाएंति धाएत्ता कसप्पहारेहिं तासेमाणा-तासेमाणा कलुगं काकणिमंसाई खावेंति रुहिरपाणं च पाएंति 194/-16 (२०) तए णं से भगवं गोयमे तं पुरिसं पासित्ता अयमेयारूचे अज्झथिए चिंतिए कप्पिए पथिए मणोगर संकप्पे समुप्पण्णे- [ अहो णं इमे पुरिसे पुरा पोराणाणं दुखिष्णाणं दुष्पडिक्कूकंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्पामं पावगं फलवित्तिविसेसं पचणुभावमाणे विहरइ न मे दिट्ठा नरगा वा नेरइया चा पचक्खं खलु अयं पुरिसे निरयपडिरूवियं वेवणं वेइ त्ति कट्टु पुरिमताले नयरे उच्चनीय-मज्झिम-कुलाई अडमाणे अहापजतं समुदाणं गिण्हइ गिव्हित्ता पुरिमताले नयरे मज्झंमज्झेणं पडिनिक्खमइ जाव समणं भगवं महावीरं बंदइ नमसइ वंदित्ता नर्मसित्ता ] एवं व्यासी- एवं खलु अहं पंते तं चैव जाव से णं भंते पुरिसे पुव्वभवे के आसी जाव विहरइ एवं खलु गोयमा तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पुरिमताले नामं नयरे होत्या-रिद्धत्थिमियसमिद्धे तत्थ पुरिमताले नयरे उदि ओदिए नाम राया होत्या- महाहिमवंत-महंत मलय-मंदर-महिंदरसारे तत्थ णं पुरिमताले निन्नए नां अंडय - वामियए होत्या- अड्ढे जाव अपरिभूए अहम्मिए जाव दुष्पडियाणंदे तस्स णं नित्रयस्स अंडय वाणियस्स बहवे पुरिसा दिण्णभइ भत्त-वेयणा कल्ला -कल्लिं कुद्दालियाओ य पत्थियापडिए य गिण्हंति गिव्हित्ता पुरिमतालस्स नयरस्स परिपेरंतेसु बहवे काइअंडए य घूइ अंडए य पारेवइअंडए य टिट्टिभअंडए य वगिअंडए य मयूरिअंडए य कुक्कुडिअंड एय असि च बहूणं जलयर - थलयर - खहयरमाईणं अंडाई गेहंति गेण्हित्ता पत्थियपिडगाई भरेति भोत्ता जेणेव निन्नए अंडवाणियए तेणेव उद्यागच्छित्ति उवागच्छित्ता नित्रयस्स अंडवाणियस्स उवर्णेति तए णं तस्स निन्नयस्स अंडवाणियगस्स बहवे पुरिसा दिण्णभइ-भक्त-देयणा बहवे काइअं - डए य जाय कुककुडिअंडए य अण्णेसि च बहूणं जलयर-थलयर- खयरमाईणं अंडए तवएस य For Private And Personal Use Only १५
SR No.009737
Book TitleAgam 11 Vivagsuyam Angsutt 11 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages50
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 11, & agam_vipakshrut
File Size1 MB
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