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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुकुखंधी-१, अज्झषणं २ १३ सत्यवाही अण्णया कयाइ लवणसमुद्दोत्तरणं च सत्यविणासं च पोयविणासं च पइमरणं च अनुचिंतेमाणी- अनुचिंतेमाणी कालधम्पुणा संजुत्ता 1991-22 (१६) तए णं ते नगरगुत्तिया सुभद्दं सत्यवाहिं कालगयं जाणित्ता उज्झियगं दारगं साओ गिहाओ निच्छुभेति निच्छुभेत्ता तं गिहं अप्णस्स दलयंति तए णं से उज्झियए दारए साओ गिहाओ निच्छूढे समाणे वाणियगामे नगरे सिंघाडग-जाब पहेतु जूपख - लएसु वेसधरएसु पाणागारे य सुहंसुणं परिचड्ढइ तए णं से उज्झिए शरए अणोहट्टए अनिवरिए सच्छंदमई सइरप्पयारे मजप्पसंगी चोर-जूय-वेस-दारम्पसंगी जाए यावि होत्या तए णं से उज्झियए अण्णया कयाइ कामज्झायाए गणियाए सद्धिं संपलग्गे जाए यावि होत्या कामज्झयाए गणिया सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ तए णं तस्स मित्तस्स रण्णी अण्णया कबाइ सिरीए देवीए जोणिसूले पाउदभूए यावि होत्या नो संचाएइ मित्ते रावा सिरीए देवीए सद्धिं उरालाई माणुस्साई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए तए णं से मित्ते रावा अण्णया कयाइ सिरीए देवीए जोणिसूले पाउटपूए बावि होत्था नो संचाएइ मित्तं राजा सिरीए देवीए सद्धिं उरालाई मायुस्सगाई भोगभोगाई पुंजमाणे विहरित तए णं से मित्ते राया अण्णया कयाइ उज्झियए दारए कामज्झयाए गणियाए गिहाओ निच्छुभावेइ निच्छुभावेत्ता कामज्झयं गणियं अभितरियं टवेड् ढवेत्ता कामज्झयाए गणियाए सद्धि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ तए णं से उज्झियए दारए कामज्झयाए गणिवाए गिहाओ निचडुमेमाणे कामज्झयाए गणियाए मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववण्णे अन्नाथ कत्थइ सुई च रई च धिरं च अविंदमाणे तचित्ते तम्मणे तल्लेस्से तदज्झवसाणे तदट्टोवउत्ते तयप्पियकरणे तदभावणाभावए का मज्झपाए गणियाए बहूणि अंतराणि य छिद्दाणि य विवराणि य पांडेजागरमाणे-पडिजागरमाणे विहरइ तए णं से उज्झियए दारए अण्णया कयाइ कामज्झयाए गणिवाए अंतरं लभेइ लभेत्ता कामज्झयाए गणियाए गिहं रहसियं अनुष्पविसइ अनुप्पविसित्ता कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ इमं च णं मित्ते राया हाए कपबलिकम्पं कयकोउय-मंगल- पायच्छिते सव्वालंकारविभूसिए मणुस्सव गुरापरिखित्ते जेणेव कामज्झयाए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तत्य णं उज्झियगं दारगं कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुसगाई भोगभोगाई भुंजमाणं पासइ पासित्ता आसुरुते रुट्टे कुचिए चंडिक्किए मिप्सिमिसेमाणे तिवलिं भिउडिं निडाले साहट्टु उज्झियगं दारगं पुरिसेहिं गिण्हावेइ गिण्हावेत्ता अट्ठमुट्ठि - जाणु - कोप्परपहार-संभाग- महियगत्तं करेइ करेत्ता अवओडग बंधणं करेइ करेत्ता एएणं विहाणेणं वज्झं आणवैइ एवं खलु गोवमा उज्झियए दारए पुरा विहरइ 1921-13 (१७) उज्झियए णं भंते दारए इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ कहिं उववजिहिड् गोयमा उज्झियए दारए पणुवीसं बासाइं परमाउं पालइत्ता अव तिभागावसेसे दिवसे सूलभिण्णे कर समाणे कालमासे कारनं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढबीए नेरइएसु नेरइयत्ताए उवबज्जिहि से णं तओ अनंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयड्ढगिरिपायमूले वानरकुलंसि बानरत्ताए उववज्जिहिद से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे तिरिय भोगेसु मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववणे जाए जाए वानरपेल्लए बहेइ तं एयकम्मे एवप्पहाणे एयविजे एयसमायारे कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इंदपुरे नयरे गणियाकुलंसि पुत्तत्ताए पञ्चावाहिइ तए णं तं दारयं अम्मापियरो जायमेत्तकं वद्धेहिंति नपुंसकम्मं सिक्खावेहिंति तए णं तस्स दारयस्स अम्पापिय 11 3 For Private And Personal Use Only
SR No.009737
Book TitleAgam 11 Vivagsuyam Angsutt 11 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages50
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 11, & agam_vipakshrut
File Size1 MB
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