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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विवाग - १/२/१२ पारणगंसि वाणियगामे नयर उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए अहासु देवाणुप्रिया मा पड़िबंधं तए णं भगवं गोयमे ] जेणेव वाणियगामे नयरे तेणेव उवागच्छ उवागच्छित्ता वाणियगामे नयरे उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई धरसमुदाणं भिक्खाचरियाए अडमाणे जेणेव रायमाणे तेणेव ओगाढे तत्थ णं बहवे हत्थी पासइ सण्णद्ध बद्धवम्मिय-गुडिए उप्पीलियकच्छे उद्दामिचघंटे नाणामणिरयण- विविह-वेज्जउत्तरकंचुइने पडिकप्पिए झवपडागवर-पंचामेलआरूढहत्थारोहे गहियाउहपहरणे अण्णे य तत्य बहवे आसे पासइ- सण्णद्ध-बद्धवम्मिय-गडिए आविद्धगुडे ओसारियपक्खरे उत्तरकंचुइय-ओचूलामुहचंडा धर- चामर थासग परिमंडिव कडीए आरूढ अस्सारोहे गहियाउहप्पहरणे अण्णे व तत्थ यहवे पुरिसे पासइ सण्णद्ध वद्धवम्पिंचकवए उप्पीलिय सरासणपट्टीए पिणद्धगेवेजे विमलवरबद्ध चिंधपट्टे गहियाउहप्यहरणे तेसिं चणं पुरिसाणं मझगवं एवं पुरिसं पासइ अवद्धोडवबंधणं उक्खित्तं कण्णनासं नेहतुप्पियगत्तं वच्झपाणपीचं तिलं- तिलं चेव द्विजमाणं कागणिमसाई खावियंतं पावं खक्खरसएहिं हम्पमाणं अनेगनर-नारीसंपरिवुडं चच्चरे-चचरे खंडपडहएणं उदग्घोसिनमाणं इमं च णं एयारूवं उग्धोसणं सुणेइ-नो खलु देवाप्पिया उज्झियगस्स दारगस्स केइ राया वा रायपुत्तो वा अवरज्झइ अप्पणी से सपाई कम्पाई अवरज्झति | ८| (१३) तए णं भगवओ गोयमस्स तं पुरिसं पासित्ता अयमेयारूये अज्झथिए चिंतिए कम्पिए पत्थिए मणीगए संकप्पे समुष्यञ्जित्था अहो णं इमे पुरिसे पुरा [पोराणाणं दुचिण्णाणं दुप्पक्कंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फलवित्तिविसेसं पञ्चणुभवमाणे विहरइ न मे दिवा नरगा वा नेरइया वा पञ्चक्खं खलु अयं पुरिसे] निरयपडिरूवियं वेयणं वेएइ त्ति कट्टु वाणियगामे नयरे उच्चनीव-मज्झिम-कुलाई अडमाणे अहापत्तं समुदाणं गिण्हइ गिरिहत्ता बाणियगामे नयरे मज्झंमणं पडिनिकूखमइ जाव पडिदंसेइ पडेदंसेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी एवं खलु अहं भंते तुमेहिं अम्मगुण्णाए समाणे वाणियगामे नयो जाव तहेव सव्यं निवेएइ से णं भंते पुरिसे पुव्वभवे के आसि जाव पञ्चणुभवमाणे विहरइ एवं खलु गोयमा तेणं काणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हत्थणाउरे नामं नयरे होत्था - रिद्धस्थि - मियसमिद्धे तत्थ णं हत्थिणाउरे नयरे सुनंदे नामं राया होत्या महया- हिमवंत-महंत-मलय-मंदरमहिंदसारे तस्य णं हस्थिणाउरे नयरे बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे गोमंडवे होत्था-अणेगखंभसयसंनिविड्डे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे तत्य णं बहवे नगरगोरूवा सणाहा य अणाहा य नगरगावीओ य नगरबलीवद्दा य नगरपडियाओ य नगरवसभा य पउरतण-पाणिया निव्पया निरूब्बिग्गा सुहंसुहेणं परिवसंति तत्थ णं हत्यिणाउरे नयरे भीमे नामं कूडग्गाहे होत्था-अहम्मिए जाव दुष्पडियाणंदे तस्स णं भीमस्स कूडग्गाहस्स उप्पला नामं भारिया होत्या- अहीण-पडिपुत्रपंचिंदियसरीरा तए णं सा उप्पला कूड गाहिमी अण्णदा कबाइ आवण्णसत्ता जाया यावि हो तथा तए णं तीसे उप्पलाए कूडग्गहाणीए तिन्हं मासाणं वहुपडिपुत्राणं अयमेपारूवे दोहले पाउयूए-धण्णाओणं ताओ अम्मयाओ [ संपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ कयस्थाओ णं ताओ अम्मयाओ कयपुत्राओणं ताओ अम्मयाओं कयलक्खणाओं णं ताओ अम्मयाओ कय-विहवाओं णं ताओ अम्मयाओ सुलणं तासि माणुस्सए जम्मजीविवफले] जाओ णं बहूणं नगरगोरूवाणं सुणाहाण य जाव वसभाण य ऊहेहि य थणेहि य वसणेहि य छेप्पाहि य ककुहेहि य वहेहि य कण्णेहि य अच्छीहि य For Private And Personal Use Only
SR No.009737
Book TitleAgam 11 Vivagsuyam Angsutt 11 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages50
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 11, & agam_vipakshrut
File Size1 MB
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