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सुयक्षघो-१, अमायण-२ दोसजणणाणि भाव बहुसंकिलिट्ठ-मलिणाणि भूतघातोवघायाईसच्चाणि वि ताई हिंसकाई वचणाई उदाहरति पुट्टा व अपुडा या परतत्तिवावडा य असमिक्खियभासियो उवदिसति सहसाउठा गोणा गवया दमंतु परिणयवया अस्सा हत्ती गवेलग-कुक्कुडा य किजंतु किणावेध 4 विकेह पयह सयणस्स देह पियधय दासि-दास-भयक-माइल्लकायसिस्सायपेसकजणोकम्पकरा किंकराय एए सयण-परिजणो य कीस अच्छंति भारिया भे करेत्तु कम्मं गहणाई वणाई खेत्त-खिलभूमि-वल्लराई उत्तण-धण-संकडाइ डन्झंतु सूडिग्जंतु य रुक्खा भिजंतु जंतभंडाइयस्स उवहिस्स कारणाए बहुविहस्स य अट्ठाए उच्छू दुजंतु पीलियंतु व तिला पयावेह य इट्टकाओ घाट्टयाए छेत्ताई कसह कलसावेह य लहुं गाम-नगर-खेड-कबडे निवेसेह अडवीदेसेसु विपुलसीमे पुष्पाणि च फलाणि य कंदमूलाई कानपताइं गेण्हह करेह संचयं परिजणट्ठयाए साली वीही जवा य लुमंतु मलिज्जंतु उप्पणिजंतु य लहुं च पविसंतु य कोट्ठागारं अप्पमहुक्कोसगाय हमंतु पोयसत्था सेणा निजाउ जाउ डमरं घोरा वटुंतु य संगामा पवहंतु य सगड-वहणाई उवणयणं चोलगं विवाहो जन्नो अमुगम्मि होउ दिवसेसुकरणेसु मुहत्तेसु नक्खत्तेसु तिहिप्मि य अज्ज होउ ण्हवणं मुदितं बहुखज्जपेजकलियं कोउक विण्हावणकं संतिकम्माणि कुणह ससि-रवि-गहोवराग-विसमेसु सजण-परियणस्स य नियकस्स य जीवियरस परिरक्खणठ्ठयाए पडिसीसकाई च देह देह य सीसोवहारे विविहोसहि-मज-मसभक्खण्णपाण-मल्लाणुलेवण-पईवजलिउजलसुगंधधूवावकार-पुष्फफल-समिद्धे पायच्छित्ते करेह पाणाइवायकरणेणं बहुविहेणं विवरीयुपाय-दुस्सिमिण-पावसउण-असोमागहचरिय-अमंगलनिमित्त-पडिघायहेउं वित्तिच्छेयं करेह मा देह किंचि दाणं सुट्टहओ सुट्टहओ सुद्दछिण्णो भिण्णोत्ति उदिसंता एवं विविहं करेंति अलियं मणेणं वायाए कम्पुणा य अकुसला अणज्जा अलियाणा अलियधम्मनिरया अलियासु कहासु अभिरमंता तुट्टा अलियं करेतु होति यवहुप्पयारं।७।-7
(१२) तस्स य अलियस्स फलविवागं अयाणमाणा वड्डेति महावं अविस्सामवेयणं दीहकानं बहुदुक्खसंकडं नरय-तिरिय-जोणि तेणं य अलिएणं समणुबद्धा आइद्धा पुणब्मबंधकारे भांति भीसे दुग्गतिवसहिमुवगया तेय दीसंतिह दुग्गगा दुरंता परव्यसा अत्थभोगपरिवज्जिया असुहिता फुडियच्ची वीभच्छा वियत्रा खरफरुस-वित्त-ज्झाम-झुसिरा निच्छाया लल्ल विफलवाया असक्कतमसक्कया अगंधा अचेयणा दुभगा अकंता काकस्सरा हीमभिण्णघोसा विहिंसा जडबहिरंधया य मम्मणा अकंत-विकय करणा नीया नीयजण-निसेविणो लोग-गरहणिज्जा भिद्या असरिसजणस्स पेस्सा दुम्मेहा लोक-वेद-अज्झप्प-समयसुतिविजिया नरा धम्मबुद्धि-वियला अलिएण य ते डज्झमाणा असंतएणं अवमाणण-पट्टिमंस-अहिक्नेव-पिसुणभेयण-गुरु-बंधवसयण-मित्तवखारणादियाई अमक्खाणाई बहुविहाइं पायेंति अमणोरमाइं हियय-मण-दूमकाई जावजीयं दुरुद्धराई अणिट्टखरफरुसवयण-तज्जण-निभच्छण-दीणवदणविमणा कुभोयणा कुवाससा कुवसहीसु किलिस्संतानेव सुहं नेव निबुइंउवलभंति अचंत-विपुल-दुक्खसय-संपलित्ता एसो सो अलियवयणस्स फलविवाओ इसलोइओ पारलोइओ अप्पप्नुहो बहुदुक्खो महमओ बहुरयप्पगाढो दारुणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चइ न य अवेदयिता अस्थि हु मोक्खोत्तिएवपाहंसु नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसीय अलिय-वरणस्स फलविवागं एयं तं बितियंपि अलियवयणं लहुसगलहु-चवल-मणियं भयंकर दुहकर-अयसकर-वेरकरगं अरतिरति-रागदोस-मणसंकिलेस-वियरणं अलिय-नियडि-सादि-जोगबहुलं नीयजण-निसेवियं [102
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