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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नमो नमो निम्मन दंसणस्त पंचम गणधर श्री सुधर्मास्वामिने नमः ९ अनुत्तरोववाइय दसाओ नवमं अंगसुतं पदमो - वग्गो -: पढ मं अज्झ य णं-जा ली : (१) तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे अज्जसुहम्मस्स समोसरणं परिसा निष्गया जाव जंबूपबासमाणे एवं वयासी-जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अयमठ्ठे पनते नवमस्स णं भंते अंगस्स अनुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अड्डे पनते तए णं से सुहम्मे अणगारे जंबू- अणगारं एवं वयासीएवं खलु जंबू समणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं नवमस्स अंगस्स अनुत्तरोबबाइवदसाणं तिणि वागा पत्रता जइ पां भंते समणेण भगव्या महावीरेणं जाव संपत्तेणं नवमस्स अंगस्स अनुत्तरोववाइयदसाणं तओ वग्गा पन्त्रत्ता पढमस्स णं भंते वग्गस्स अनुत्तरोववाइयदसाणं समणेोणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पत्रत्ता एवं खलु जंबू समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अनुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स बग्गस्स अज्झयणा पत्रत्ता तं जहा जालि मयालि उदयालि पुरिससेणे वारिसेणे य दीहदंते य लठ्ठदंते य येहल्ले वेहायसे अभए इ य कुमारे जइ णं भंते समणं भगवया महावीरेणं जावं संपत्तेणं पढमस्स बग्गस्स दस अज्झयणा पत्रत्ता पदमस्स णं भंते अज्झयणस्स अनुत्तरोववाइयदसाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अड्डे पत्रत्ते एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे- रिद्धत्थिमियसमिद्धे गुणसिलए चेइए सेणिए राया धारिणी देवी सीहो सुमिणे जाली कुमारो जहा मेहो अदृट्ठ दाओ जाव उपिपासा विहरइ सामी समोसढे सेणिओ निग्गओ जहा मेहो तहा जाली वि निग्गओ तहेव निक्खतो जहा मेहो एककारस अंगाई अहिजइ गुणरवणं तवोकम्पं जहा खंदयस्स एवं जा चैव खंदगस्स वत्तव्वया सा चैव चिंतणा आपुच्छणा धेरेहिं सद्धिं बिउलं पव्वयं तहेव दुरुहइ नवरं सोलस वासाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता कालपासे कालं किच्चा उड्ढं चंदिम-सूर-गहगण-नक्खत्त- तारा-रूवाणं सोहम्मीसाण जाव आरण एकप्पे नवयवेज्जविमाणपत्थडे उड्ढ दूरं वीईवइत्ता विजयविमाणे देवत्ताए उववष्णे तए णं ते धेरा भगवंतो जालि अणगारे कालगयं जाणित्ता परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेति करेत्ता पत्तचीवराई गेण्हंति तहेव उत्तरंति जान इमे से आयारभंडए भंतेति भगवं गोयमे जाव एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी जाली नामं अणगारे पगइमद्दए से णं जाली अणगारे कालगए कहिं गए कहि उववणे एवं खलु गोयमा ममं अंतेवासी तहेव जहा खंदयम्स जाव कालग्गए उडूढं चंदिमसूर-गहगण - नक्खत्त-तारारूवाणं जाव विजए विमाणे देवत्ताए उबवण्णे जालिस्स णं भंते देवस्स केबइयं कालं ठिई पन्नत्ता गोयमा बत्तीसं सागरोचमाई ठिई पन्नत्ता से णं भंते ताओ देवलोयाओ आउक्खाणं भवक्खणं टिइक्खएणं कहिं गच्छिहि कहिं उववजिहि गोयमा महाविदेहे वासे For Private And Personal Use Only
SR No.009735
Book TitleAgam 09 Anuttaravavaidasao Angsutt 09 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages18
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 09, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size1 MB
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