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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घग्गा-३, अज्मपण-१ अणगारे जाए-इरियासमिएजाय गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी तए णं से धण्णे अणगारेज चेव दिवस मुंडे भविता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तं चेव दिवसं समणं पगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयाप्ती-इच्छामि णं भंते तुटमेहिं अब्मणुण्णाए समाणे जावजीवाए छटुंछटेणं अणिक्खितेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेपाणे विहरितए छठुस्स वि य णं पारणयसि कप्पइ मे आयंबिलं पडिगाहेत्तए नोचेवणं अणायंबिलं तं पिय संसट्ठ नो चेवणं असंसर्ट तं पि य णं उझियधम्मियं नो चेव णं अनुझिय-धम्मियं तं पि य जं अण्णे बहवे समण-माहणअतिहि-किवण-वणीमगा नावकंखंति अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंधं करेहि तए णं से धण्णे अणगारे सपणेणं भगवया महावीरेणं अव्मणुण्णाए समाणे हद्वतुवे जावजीवाए छटुंछद्रेणं अणिस्वित्तेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेमं अप्पाणं भायेमाणे विहरइ तए णं से धण्णे अणगारे पढम-छट्टखमणपारणयंसि पढमाए पोरिसीए सज्झावं करेइ जहा गोयमसामी तहेव आपुच्छइ जाव जेणेव काकंदी नयरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता काकंदीए नयरीए उच्च-जाव अडपाणे आयंबिलं नो अणायंबिलं जाव नावकंखंति तए णं से धण्णे अणगारे ताए अब्मुग्नयाए पययाए पयत्ताए पग्गहियाए एसणाए एसमाणे जई भत्तं लभइ तो पाणं न लभइ अह पाणं लभइ तो भत्तंन लमइतएणं से धणेअणगारे अदीणे अविमणे अकलुसे अविसादी अपरितंत-जोगी-जयण-घडणजोगवरिते अहापजत्तं समुदाणं पडिगाहेइ पडिगाहेत्ता काकंदीओ नयरीओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्यमित्ता जहा गोयमे जाव पडिदंसेइ तएणं से धणे अणगारे समणेणं मगवया महावीरेणं अडभणुण्णाए समाणे अमुच्छिए [अगिद्धे अगढिए] अणज्झोववण्णे बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं आहारं आहारेइआहारेत्ता संजमेण तवसा अप्पाणं-भावेमाणे बिहाइ तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ कायंदीओ नयरीओ सहसंबवणाओ उज्जाणाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खंमित्ता बहिया जगवयविहार विहरइ तए णं से धने अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहावाणं धेराणं अंतिए सामाइयमाइपाई एक्कारस अंगाई अहिजइ अहिज्जित्ता संजमेणं तयता अप्पाणं भावेमाणे विहरइ तएणं से धन्ने अणगारे तेणं ओरालेणंजहा खंदओ जाव सुहय चिट्ठइधनस्सणं अणगारस्स पायाणं अयमेयारूवे तब-रूप-लावण्णे होत्या-से जहानापए सुक्कछल्ली इघा कट्ठपाउया इ वा जरग्गओवाहणा इ या एयापेय धण्णस्स अणगारस्स पाया सुक्का लुक्खा निम्मंसा अहिचप्म-छिरत्ताए पन्नायंति नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए धन्नस्स गं अणगारस्स पायंगुलियाणं अयमेवारूवे तव रूव-लावण्णे होत्था-से जहानामए कलसंगलिया इ वा मुग्गसंगलिया इ वा माससंगलिया इवा तरुणिया ठिण्णा उण्हे दिण्णा सुक्का सपाणी मिलायमाणी चिटुंति एवामेव धष्णस्स अणगारस्स पायंगुलियाओ सुक्काओ जाव सोणियत्ताए धण्णस्स णं अणगारस्स जंधाणं अयमेवारूवे तव-रूप-लावण्णे होत्या-से जहानापए काकजंधा इ या टेणियालियाजधाइया जाय नो सोणियत्ताए धण्णस्स अणगारस्स जाणूणं अयमेयास्त्वे तव-रूव लावण्णे होत्था-से जहानामए कालिपोरे इ वा मऊरपोरे इ वा टेणियालियापोरे इ वा जाव नोचेवणं मंस-सोणियत्ताए घण्णस्सणं अणगारस्स ऊवणं अयपेयारूचे तव-सवे-लावण्णे होत्या-से जहानामए सामकरिल्ले इ या बोरीकरिप्ले इ वा सल्लइकरिल्ले इ वा सामलिकरिल्ले इ वा तरुणए छिण्णे उण्हे [दिण्णे सुक्के समाणे मिलायमाणे] चिट्ठइ एवामेण धण्णस्स अणगारस्स ऊरू जाव नो-सोणियत्ताए धण्णस्स णं अणगारस्स कडिपत्तस्स अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्या-से जहानामए उपदे इ या जरग्गपए इया पहिसपए इ वा जाव नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए धण्णस्स णं अणगारस्स उदर-मायणस्स अय For Private And Personal Use Only
SR No.009735
Book TitleAgam 09 Anuttaravavaidasao Angsutt 09 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages18
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 09, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size1 MB
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