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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३१ वणी-८, अायणं-९ ___ --न व अ य य णं-पि उसे ण क ण्हा :(५८) एवं पिउसेणकण्हा वि नवरं-मुत्तावलि तवोकम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरइ तं जहावउत्यं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ छद्रं करेइ करेता सव्वकामगुणियं पारेइ चउत्थं करेइ करेता सबकामगुणियं पारेइ अट्ठमं करेइ करेता सव्वकामगुणियं पारेइ चउत्यं करेइ करेता सबकापगुणियं पारेइ दसमं करेइ करेता सच्चकापगुणियं पारेइ चउत्थं कोइ करेत्ता सव्वकामगुणिवं पारेइ दुवालसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ चउत्थं करेइ कोत्ता सब्बकापगुणियं पारेइ ोद्दसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ चउत्थं करेइ करेत्ता सव्वकामगुमियं पारेइ सोलसमं करेइ करेता सव्यकामगुणियं पारेइ चउत्यं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्ठारसम करेइ करत्तासचकामगुणियं पारेइ चउत्थं करेइ करेत्ता सबकामगुणियं पारेइ यीसइमं करेइ कोत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ चउत्यं करेइ करेता सच्चकामगुणियं पारेइ बावीसइमं करेइ करेता सबकामगुणियं पारेइचउत्थं करेइ कोत्ता सचकामगुणियं पारेइ चउदीसइमं करेइकोत्ता सव्यकामगुणिचं पारेइ चउत्थं करेड़ करेता सब्बकामगुणिय पारेइ छब्बीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ चउत्यं करेइ करेत्ता सव्यकामगुणिचं पारेइ अट्ठावीसइमं करेइ करेत्ता सव्वकापगणिय पारेइ चउत्थं करेइ करेसा सव्वकामगुणियं पारेइ तीसइप करेइ करेत्तासचकामगुणियं पारेइ चउत्थं कोइ करेत्ता सव्यकामगुणिचं पारेइ बत्तीसई करेइ कोत्ता सव्वकामगुणियं पारे चउत्यं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणिवं पारेइ चोत्तीसइमं करेइ करेता सबकामगुणियं पारेइ चउत्यं करेइ करेत्ता सबकामगुणियं पारेइ वत्तीप्तइमं करेइ करेत्ता सव्यकामगुणियं पारेइ एवं तहेव ओसारेइ जाव वडत्यं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ एक्काए कालो एक्कारस मासा पन्नरस य दिवसा चरहं तिणि वरिसा दस यमासासेसंजाव सिद्धा।२५1-25 अमेवणे नवयं अज्मपणं समत. -दस मं अन्झ य -म हा से ण क पहा :(५९) एवं महासेणकण्हा वि नवरं-आयंबिलवड्ढमाणं तवोकम्मं उपसंपग्नित्ता गं विहरइ तं जहा-आयंबिलं करेइ करेता चउत्थं करेइ बे आयंबिलाई करेइ कोत्ता चउत्यं करेइ तिण्णि आयंबिलाई करेइ करेता चउत्यं करेइ चत्तारि आयंबिलाई कोइ करेत्ता चउत्यं करेइ पंच आयंबिलाई करेइ करेता चउत्थं करेइ छ आयंबिलाई करेइ करेत्ता चउत्यं करेड़ एवं एककत्तरियाए यड्ढीएआयंबिलाईवड्दति चउत्यंतरियाईजाव आयंबिलसयंकरेइ करेत्ता चउत्थं करेइतएणं सा महासेणकण्हा अशा आयंबिलवड्ढमाणं तवोकम्मं चोद्दसहि वासेहिं तिहि य मासेहिं वीसहि य अहोरतेहिं अहासुत्तं जाय आराहेता जेणेव अजचंदणा अजा तेणेय उवागया उचागच्छित्ता जाव नमंसित्ता बहूहिं चउत्थ तिवोकम्मेहि अप्पाणं] भावेमाणी विहाइ तए णं सा महासेणकण्हा अज्ञा तेणं ओरानेणं जाव तवेणं तेएणं तवतेय सिरीए अईव-अईव उवसोहेमाणी चिट्ठइ तएणंतीसे महासेणकण्हाए अजाए अण्णया कयाइ पुव्यरत्तावात्तकाले चिंता जहा खंदयस्स जाव अनचंदणं अजं आपुच्छइ जाव संलेहणा कालं अणवखंभाणी विहरइतएशंसा महासेणकण्हा अजा अजचंदणाए अजाए अंतिए सामाइयपाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जिता बहुपडिपुत्राई सतरस वासाई परिवायं पालइत्ता मासियाए सलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सहि भत्ताईअणसणाएछेदित्ता जस्सट्टाए कीरइ नग्गभावेजाव तमटुंआराहेइ आराहेत्ता चरिमउस्सासनिस्सासेहिं सिद्धा।२६-१1-28-8 For Private And Personal Use Only
SR No.009734
Book TitleAgam 08 Antgadadasao Angsutt 08 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages42
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 08, & agam_antkrutdasha
File Size1 MB
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