________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
उषातगदसामओ १०/५८
विहरइ
तएणं से लेइयापिता समणोवासए पढमं उवासगपडिमं उयसंपज्जित्ता णं विहरइ तए णं से लेइयापिता समणोवासए पढमं उवासगपडिम अहासुतं अहाकप्पं अहामग्गं अहातचं सम्मकाएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कितेइ आराहेइ तए मं से लेइयापिता समणोवासए दोच्चं उवासगपडिमं एवं तच्चं चउत्थं पंचमं छटुं सत्तमं अट्ठसं नवमंदसमं एक्कारसमं उवासगपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं जाव आराहेइ तए णं से लेइयापिता समणोवासए तेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पाहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुढे निम्मंसे अविचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए तए णं तस्स लेइयापियस्स समणोवासगस्स अण्णदा कदाइ पुव्यरत्तावरत्तकाल समयंसि धम्पजागरियं जागरमाणस्स अयं अज्झस्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुपञ्जित्या-एवं खल अहं इमेणं एयारवेणं जाव किसे धपणिसंतए जाए तं अस्थि ता मे उट्ठाणे कम्मे वले वीरए पुरिसक्कारपरक्कमे सद्धा-धिइ-संवेगे तं जावता मे अस्थि उट्टाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे सझा-धिइ-संवेगे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्यी विहरइ तावता मे सेयं कालं पाउप्पभायाए एयणीए जाव उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सम्मि दिणयरे तेयसा जलते अपच्छिममारणंतियसलेहणा-झूसणा-झूसियस्स भत्तपाण-पडियाइक्खियस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तए-एवं संपेहएइ संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभावाए रवणीए उहिम्मि सूरे जाव विहरइ तए णं से लेइयापिता समणोवासए बहूहिं सील-व्यय-गुण-वेरमण-पचक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेत्ता वीसं वासाइंसमणोवासगपरियायं पाणित्ता एक्कारस य उवासगपडिमाओ सम्म काएणं फासित्ता मासिवाए संदेहणाए अताणं झूसित्ता सद्धिं भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिककंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किया सोहम्मे कप्पे अरुणकीले विमाणे देवत्ताए उययण्णे तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओदमाई ठिई पत्रत्ता लेइयापिवस्स वि देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता से णं मंते लेतियापिता ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइता कहिं गमिहिइ कहिं उववनिहिइ गोयमा महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुझिहिइ सव्यदुक्खाणमंतं काहिइ ५६।-58
(५९) दसह वि पन्नरसमे संवच्छरे वट्टमाणे णं चिंत्ता दसह वि वीसं वासाई समणोवासयपरियाओ एवं खलु जंबूसपणेणं भगवया महावीरेणं उवासगदसाणं दसमस्स अज्झयणस्स अयमट्टे पत्रते एवं खलु जंबूसपणेणं भगवया महावीरेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाण अयमढे पत्रत्ते।५७)-57
(१०) उवासगदसाणं सत्तमस्स अंगस्स एगो सुयखंधो दस अज्झयणा एककसरगा दसस चेव दिवसेसु उद्दिस्संति तओ सुयखंधो समुद्दिस्सइ तओ सुयखंघो अनुग्णविनइ दोसु दिवसेसु अंगंतहेव ।५८1-58 (६१) वाणियगामेचंपा दुवेयवाणारसीए नयरीए
आलभिया च पुरवरी कंपिल्लरंच बोद्धव्वं (६२) पोलासं रायगिहें सावत्थीए पुरीए दोन्नि भवे
एए उदासगाणं नयरा खलु होति बोद्धव्वा (६३) सिवनन्द-भद्द-सामा धन-बहुला पूस अग्गिमित्ता य
रेवइ-अस्सिणि तह फग्गुणी य भजाण नामाई
||२||-1
||३||-2
॥४||-3
For Private And Personal Use Only