________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
२८
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
उवासगदाओ ४/३२
सावयधम्मं पडिवज्जइ तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदाइ वाणासीए नयरीए कोडयाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ तए णं से सुरादेवे समणोवासए जाए- अभिगयजीवाजीवे जाव समणे निग्गंधे फासु-एसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम साइमेणं बल्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं ओसह - भेसणं पाडिहारिएणं य पीढ-फलग-सेजासंथारएणं पडिला माणे विहरइ तए णं सा धना भारिया समणोवासिया जाया- अभिगयजीवाजीबा जाव विहरतणं तस्स सुरादेवस्स सपणोवासगस्स उच्चावएहिं सील-व्वव-गुण- वेरमण-पत्रक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेभाणस्स चोद्दससंवछराई वीइककंताई पत्ररसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणम्स इमेयालवे अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पजित्था एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए बहूणं जाव आपुच्छणिजे पडिपुच्छणिजे सयम्स वि य णं कुटुंबस्स मेढी जाव सव्वकजवड्ढावए तं एतेणं वक्खेवेणं अहं नो संचारपि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपत्रत्ति उवसंपत्ति णं विहरित्तए तए णं सुरादेवे समणोवासए जेट्ठपुतं मित्त-जाब परिजणं च आपुच्छइ आपुच्छित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खनइ पडिणिक्खमित्ता वाणारसिं नयरिं मज्झपज्झेणं निगच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता पोसहसाल पमजइ पमवित्ता उच्चारपासवण भूमिं पडिलेइ पडिलेहिता दब्भसंधारयं संथरेइ संधरेत्ता दन्भसंधारचं दुरहइ दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए वंमयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगवमालावण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्यमुसले एगे अबीए दयासंधारोवगए। समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपत्रत्ति उदसंपचित्ता णं विहरइ | ३०1-30
(३३) तए णं तस्स सुरादेवस्स समणोवासयस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अंतियं पाउमवित्था तए णं से देवे एगं महं नीलुप्पल - गवलगुलिय-अयसिकुसुमप्पगारां खुरधारं असिं गहायं सुरादेवं समणोवासयं एवं व्यासी-हंमो सुरादेवा समणोवासया अप्पत्थिपत्थिया दुरंत-पंतलक्खणा हीणपुत्रचाउद्दासिया सिरि-हिरि घिइ कित्ति-परिवजिया धम्मकामया पुत्रकामया सग्गकामया मोक्खकामया धम्मकेंखिया पुत्रकंखिया सागकंखिया मोक्खकंखिया धम्मपिवासिया पुत्रपिवासिया समपिवासिया मोक्खपिवासिया नो खलु कप्पइ तव देवाणुप्पिया सीलाई वयाई वेरमपाई पचक्खणाई पोसहोचवासाइं चालितए वा खोभितए वा खंडित्तए वा भंजित्तए वा उज्झितए या परिचइत्तए वा तं जइ गं तुमं अज्ज सीलाई बचाई वेरमणाई पश्चक्खाणाई पीसहोववासाई न छड्डेसि] न भंजेसि तो ते अहं अज्ज जेट्ठपुतं साओ गिहाओ नीणेमि नीणेत्ता तव अग्गओ धाएमि धाएत्ता पंच मंससोल्ले करेमि करेत्ता आदाणभरियंसि कडाहयंसि अहेमि अत्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आइंचामि जहा गं तुमं अट्ट-दुहट्ट-वसट्टे अकाले चैव जीविया ओ बवरोविजसि [तए
से सुरादेवे समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए अतत्ये अनुव्विग्ये अखुभिए अचलिए असंभंते तुसिणीए धम्मज्झाणोवगए विहरइ तए णं से देवे सुरादेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पास पाक्षित्ता दोच्चं पि तच्चं पि सुरादेवं समणोवासयं एवं बयासी हंभो सुरादेवा समणोवासवा जाव जइ णं तुमं अन सीलाई बयाई जाव न छड्डेसि न भंजेसि तो ते अहं अञ्च जेवपुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि नीणेत्ता जाव जीवियाओं बवरोविजसि तए णं से सुरादेवे समणोबासए तेणं देवेणं दोच्चं पि तचं पि एवं वुत्ते समाणे अमीए जाव विहरइ तए णं से देवे सुरादेवं
For Private And Personal Use Only